मगध यूनिवर्सिटी में हुए कॉपी खरीद घोटाले में स्पेशल विजिलेंस यूनिट ने बड़ी कार्रवाई की है।बता दें कि टीम ने गया से MU के रजिस्ट्रार पुष्पेन्द्र कुमार वर्मा, प्रॉक्टर प्रोफेसर डॉ.जयनंदन प्रसाद सिंह, लाइब्रेरी इंचार्ज विनोद कुमार और वीसी डॉ.राजेन्द्र प्रसाद के पीए व असिस्टेंट सुबोध कुमार को गिरफ्तार कर लिया है।फिलहाल मुख्य आरोपी कुलपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद अब तक गिरफ्तार नहीं किए जा सके हैं।वह छुट्टी पर चल रहे हैं।गिरफ्तारी के बाद इन्हें विजिलेंस की अदालत में पेश किया गया।आय से अधिक संपत्ति के मामले में डॉ.राजेन्द्र प्रसाद के ठिकानों पर SVU ने छापेमारी कर करोड़ों की चल-अचल संपत्ति का खुलासा किया था और उससे संबंधित दस्तावेज जब्त किए थे।
SUV ने 17 नवंबर को कुलपति के आवास में की थी छापेमारी
आपको बता दें कि SUV ने 17 नवंबर को कुलपति आवास गया और उनके पैतृक जनपद गोरखपुर में एक साथ छापेमारी की थी और साथ ही लाखों रुपए कैश,करोड़ों रुपए की चल अचल सम्पति से जुड़े दस्तावेज जब्त किए थे और इसके बाद कुलपति अगले 24 दिसम्बर तक की छुट्टी पर चल गए थे।बता दें कि छुट्टी पर जाने से पहले भी वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे थे।उन्होंने चार लोगों को गलत तरीके से नई जिम्मेदारी देने के लिए नोटिफिकेशन जारी करने के लिए अपने पास फाइल मंगवाई थी लेकिन जांच की कार्रवाई तेज होने की वजह से वे वैसा नहीं कर सके जैसा कि वे चाहते थे।उन चार लोगों में से एक ब्रजेश राय व दूसरा वीरेन्द्र सिंह थे और दो अन्य लोग भी शामिल थे।
SVU ने की छापेमारी
स्पेशल विजिलेंस यूनिट मुताबिक भ्रष्टाचार के मामले की तफ्तीश के दौरान इन सभी की भूमिका सामने आने के बाद इनको हिरासत में किया गया है।बता दें कि सोमवार को इन चारों पदाधिकारियों को SVU ने पूछताछ के लिए बुलाया था और इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था।वहीं गिरफ्तारी के बाद इन्हें विजिलेंस की अदालत में पेश किया गया था।हालांकि डॉ.राजेन्द्र प्रसाद के ठिकानों पर आय से अधिक संपत्ति के मामले में SVU ने छापेमारी कर करोड़ों की चल-अचल संपत्ति का खुलासा किया था तथा उससे संबंधित दस्तावेज जब्त किए थे।
चारों अधिकारी कर रहे थे तत्कालीन कुलपति के सहयोगी के तौर पर काम
बता दें कि तत्कालीन कुलपति डॉ.राजेन्द्र प्रसाद पर उत्तर पुस्तिका खरीद व किताबों की खरीद में भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं और उनपर करीब 30 करोड़ रुपए की सरकारी राशि के दुरुपयोग का आरोप लगा है।जांच में बात सामने आई है कि तत्कालीन वीसी के भ्रष्टाचार के खेल में रजिस्ट्रार, प्रॉक्टर, लाइब्रेरी के इंचार्ज व वीसी का पीए भी सहयोगी की भूमिका में काम कर रहे थे।इसके साथ ही पीए सुबोध पर आरोप है कि वह कुलपति डॉ.राजेन्द्र प्रसाद के खिलाफ बोलने वाले विवि के अन्य अधिकारियों को धमकी भी देता था।
लाइब्रेरी इंचार्ज प्रो. विनोद पर भी लगा आरोप
इसके अलावा लाइब्रेरी इंचार्ज प्रोफेसर विनोद कुमार पर आरोप लगा है कि ई-बुक की खरीद जिसे ई-लाइब्रेरी में रखा जाना था, के फर्जीवाड़े में शामिल थे। जांच में बात भी सामने आई कि ई-लाइब्रेरी अस्तित्व में ही नहीं है और न ही उसके लिए कोई आधारभूत संरचना ही है।मामले में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद एक जांच कमिटी भी गठित की गई थी जिसकी रिपोर्ट में विनोद की भूमिका संदिग्ध पाई गई।रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि रजिस्ट्रार ने पेंमेंट चेक पर साइन किया था जो गैरकानूनी है।
प्रॉक्टर पर लगा आरोप
वहीं मगध विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर प्रोफेसर डॉ.जयनंदन प्रसाद सिंह पर आरोप लगाया गया है वे वीसी के साथ मिलकर यूनिवर्सिटी के नियमों प्रावधानों के विपरित किताबें खरीद में शामिल थे।इसके साथ ही विवि में तैनात सिक्युरिटी गार्ड की संख्या अधिक दिखाकर अधिक पैसे के भुगतान में भी शामिल थे जिससे सरकार को काफी पैसे का नुकसान हुआ है।