दिल्ली की सीमाओं पर कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन पिछले 46 दिनों से लगातार जारी है। किसान सरकार से तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं। अभी तक दोनों पक्षों के बीच 8 दौर की वार्ता नाकाम हो चुकी है और अब 15 जनवरी को एक बार फिर किसान और सरकार वार्ता के लिए बैठेंगे। हालांकि सरकार की कोशिश अभी भी यही है कि किसान संशोधन के विकल्प पर सहमत हो जाएं लेकिन इसकी संभावना दिखाई नहीं दे रही है।
दूसरी तरफ इस मामले में सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में भी चल रही है। 11 जनवरी को अगली सुनवाई होनी है। इस बीच कांग्रेस ने किसानों के समर्थन में अभियान शुरू कर दिया है। कांग्रेस ने 15 जनवरी को ‘किसान अधिकार दिवस’ मनाने का ऐलान किया है। कांग्रेस के कार्यकर्ता सभी राज्यों की राजधानियों में जन आंदोलन करेंग और राजभवनों को घेराव करेंगे।
साफ है कि किसानों के मुद्दे पर लगातार सियासत हो रही है। ये मुद्दा अब सिर्फ किसानों और सरकार के बीच कृषि कानूनों को लेकर गतिरोध का ना होकर विपक्ष की सियासत का भी हो गया है। हालांकि किसान संगठनों ने कई बार किसी भी पार्टी से नाता ना होने की बात साफ की है। लेकिन तमाम सियासी पार्टियां किसानों के मुद्दे पर सरकार को घेरने का मौका नहीं गंवाना चाहती है। माना जा रहा है कि कांग्रेस का ये ऐलान भी इसी मुहिम का हिस्सा है।