चंद्रयान-3 अपने सफर पर सफलतापूर्वक आगे बढ़ता जा रहा है। शुक्रवार को इसरो ने बताया कि यान ने दो तिहाई सफर पूरा कर लिया है। 14 जुलाई को रवाना हुआ यान शनिवार को चांद की कक्षा में प्रवेश करेगा। आप को बता दें, अब तक अमेरिका, रूस व चीन ने ही चांद की सतह पर अपने लैंडर उतारे हैं। भारत ऐसा करने वाला चौथा देश होगा।
हालांकि भारत ने 2019 में चंद्रयान-2 मिशन के तहत लैंडर को उतारने का प्रयास किया था। लेकिन आखिरी क्षणों में लैंडर से संपर्क टूट गया था और उसकी क्रैश लैंडिंग हो गई थी।
इसरो ने बताया लांचिंग के बाद से पांच बार यान की कक्षा में बदलाव किया गया है। पहली अगस्त को स्लिंगशाट के बाद पृथ्वी की कक्षा छोड़कर यान चांद की ओर रवाना हुआ था। पांच अगस्त को शाम सात बजे यान को चांद की कक्षा में प्रवेश कराया जाना है। यान को उस समय प्रविष्ट कराया जाएगा जब उसकी अभीष्ट कक्षा चांद से सबसे नजदीकी बिंदु पर होगी।
इस प्रक्रिया को लूनर आर्बिट इंजेक्शन (एलओआइ) कहा जाता है। इसके बाद अगले कुछ दिन यान चांद की कक्षा में परिक्रमा करेगा। क्रमिक रूप बदलाव करते हुए यान को चांद की निकटतम कक्षा में पहुंचाया जाएगा। इससे पहले इसरो ने बताया था कि यान पूरी तरह निर्धारित कार्यक्रम के अनुरूप आगे बढ़ रहा है। 23 अगस्त को यान के लैंडर-रोवर को चंद्रमा की सतह पर उतारा जाएगा।