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तेज आर्थिक विकास के लिए इच्छुक हैं भारत: गोयल

केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता मामले, मंत्री पीयूष गोयल ने भारत तथा लातीनी अमेरिकी और कैरेबियाई (एलएसी) क्षेत्र के बीच सहयोग व भरोसा बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया है। नई दिल्ली में आयोजित ‘नौवें सीआईआई इंडिया-एलएसी कॉन्क्लेव’ में विशेष मंत्रिस्तरीय सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत और एलएसी क्षेत्र के साझा सांस्कृतिक संबंध हैं और वे औपनिवेशिक अतीत के अंधकार से बाहर निकले हैं।

गोयल ने कहा कि भारत बढ़े हुए व्यापार और निवेश, सहयोग तथा व्यापार एकीकरण और मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) के माध्यम से तेज आर्थिक विकास का इच्छुक है। उन्होंने भारत और एलएसी क्षेत्र के बीच गहरे सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से व्यापक चार सूत्री एजेंडा प्रस्तुत किया। गोयल ने भारत और एलएसी क्षेत्र के बीच गहरे सहयोग के लिए चार सूत्री एजेंडा प्रस्तुत किया। जिनमें व्यापार को बढ़ावा देना, द्विपक्षीय साझेदारी का लाभ उठाना, स्वास्थ्य सुविधा व औषधि विज्ञान सहयोग तथा वैश्विक मुद्दों का समाधान करना।

गोयल ने अधिक निवेश प्रवाह को प्रोत्साहित करने के लिए द्विपक्षीय सहयोग की क्षमता पर प्रकाश डाला। उन्होंने विशेष रूप से पर्यटन, आतिथ्य और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में आपूर्ति श्रृंखलाओं के एकीकरण के महत्व पर जोर दिया। गोयल ने कहा कि संसाधनों में सहयोग करके  भारत और एलएसी क्षेत्र वैश्विक प्रभाव वाले सस्ते समाधान विकसित कर सकते हैं।

गोयल ने कहा कि भारत और एलएसी क्षेत्र के बीच सामूहिक प्रयासों से सबसे जटिल वैश्विक समस्याओं के लिए भी अभिनव समाधान निकाले जा सकते हैं। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि सामयिक वैश्विक चुनौतियां हम सभी को साझेदार बनाकर, आपूर्ति श्रृंखलाओं को एकीकृत करके और हमारे खनिज संसाधनों, प्रौद्योगिकी, कौशल, श्रम शक्ति आदि का सहयोगात्मक तरीके से उपयोग करके मिलकर काम करने का आह्वान करती हैं। उन्होंने कहा कि इससे गरीबी, जलवायु परिवर्तन, असमानता आदि चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी।

गोयल ने कहा कि भारत और एलएसी क्षेत्र को दुनिया को भावी पीढ़ियों के लिए एक बेहतर स्थान बनाने की दिशा में मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वास का माहौल बनाने और भारत व एलएसी क्षेत्र के बीच व्यापार में तेजी से वृद्धि की दिशा में काम करने के प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि जनसांख्यिकीय लाभ के साथ-साथ संरचना विकास, डिजिटल कनेक्टिविटी, मजबूत व्यापक आर्थिक बुनियादी तत्व आदि भारत को आर्थिक विकास के लिए एक अग्रणी भागीदार के रूप में प्रस्तुत करते हैं।

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