सेंट्रल डेस्क, साहुल पाण्डेय : राफल मामले को लेकर एक बार फिर से कोर्ट में सुनवाई चल रही है। बता दें कि कोर्ट में इस मामले पर पहले के फैसले को लेकर रिव्यू पेटिशेन दायर किया गया है। इसी पर कोर्ट सुनवाई कर रही है। इस दौरान एक बड़ी बात कोर्ट में सरकार की ओर से कही गई है। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा कि राफेल डील से जुड़े सीक्रेट फाइलें चोरी हो गईं है। वहीं सरकार की तरफ से यह भी कहा गया है कि याचिकाकर्ता इन चोरी हुए कागजातों का इस्तेमाल करके आधिकारिक गोपनीयता कानून का उल्लंघन कर रहा है।
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने बताया चोरी हो गईं हैं राफेल से जुड़ी कागजातें
सरकार की ओर से उक्त बातें सुप्रीम कोर्ट में राफेल डील मामले में दाखिल पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान एक न्यूज पेपर की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहीं है। कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए एजी वेणुगोपाल ने कहा कि ये कागजात रक्षा मंत्रालय से पूर्व या वर्तमान कर्मचारी द्वारा चोरी किए गए हैं। ये गोपनीय दस्तावेज हैं और इन्हें सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। इस पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने उनसे पूछा कि सरकार ने इस मामले में अभी तक क्या कार्रवाई की है।
चीफ जस्टिस के सवाल पर जवाब देते वेणुगोपाल ने कहा कि हम लोग जांच कर रहे हैं कि आखिर ये कागजात कैसे चोरी हो गए। साथ ही राफेल विमान सौदे से जुड़े केस में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, “यदि अब CBI जांच के निर्देश दिए जाते हैं, तो देश को भारी नुकसान होगा।
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आज की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट में जब वरिष्ठ पत्रकार एन राम के एक लेख का हवाला देते हुए डील में हेराफरी की बात कही तो अटार्नी जनरल ने इसका विरोध करते हुए कहा कि यह लेख चोरी किये गये दस्तावेजों पर आधारित हैं और इस मामले की जांच जारी है। वेणुगोपाल ने कोर्ट में बताया कि वरिष्ठ पत्रकार का पहला लेख छह फरवरी को ‘द हिन्दू’ में प्रकाशित हुआ और बुधवार के संस्करण में भी एक खबर है जिसका मकसद न्यायालय की कार्यवाही को प्रभावित करना है और यह न्यायालय की अवमानना के समान है।
तथ्यों को दबाया नहीं गया होता तो सुप्रीम कोर्ट ने प्राथमीकि और जांच संबंधी याचिका खारिज नहीं करती
सुप्रीम कोर्ट ने राफेल सौदा मामले में पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कहा कि वह ऐसे किसी भी पूरक हलफनामों अथवा अन्य दस्तावेजों पर गौर नहीं करेगा जो उसके समक्ष दखिल नहीं किए गए हैं। वहीं प्रशांत भूषण ने कोर्ट में कहा- जब प्राथमिकी दायर करने और जांच के लिए याचिका दाखिल की गईं तब राफेल पर महत्वपूर्ण तथ्यों को दबाया गया। अगर तथ्यों को दबाया नहीं गया होता तो सुप्रीम कोर्ट ने राफेल सौदा मामले में प्राथमीकि और जांच संबंधी याचिका को खारिज नहीं की होती।
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आपको बता दें कि पुनर्विचार याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि शीर्ष अदालत में जब राफेल सौदे के खिलाफ जनहित याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया तो केन्द्र ने महत्वपूर्ण तथ्यों को उससे छुपाया था। वहीं हाल हीं में द हिन्दू अखबार में छपी एक पत्रकार के लेख में एक दास्तावेज की कॉपी ने इस पूरे मामले को और हवा दे दी थी।