सेंट्रल डेस्क, ज्योति : बसंत पंचमी का पर्व इस बार 10 फरवरी को मानाया जाएगा। यह त्योहार हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर मनाया जाता है। ऐसी पौराणिक मान्यता है कि इस दिन से सर्दी के महीने का अंत हो जाता है और ऋतुराज वसंत का आगमन होता है। इस दिन माता सरस्वती की विशेष रूप से पूजा की जाती है। छात्रों और कलाकारों के लिए सरस्वती पूजा का विशेष महत्व होता है।
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अगर छात्र ज्ञान और विवेक पाना चाहते हैं तो देवी सरस्वती की पूजा करते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखें और पूजा में देवी सरस्वती की 5 प्रिय वस्तुएं जरूर भेंट करें।
ऐसी मान्यता है कि देवी सरस्वती को पीले और सफेद रंग के फूल पसंद होते है। आपको इन फूलों से देवी की पूजा करनी चाहिए। देवी को प्रसन्न करने के लिए आप गेंदे और सरसों के पुष्प अर्पित कर सकते हैं।
देवी सरस्वती को बूंदी का प्रसाद प्रिय होता है। बंसत पंचमी के दिन पीले रंग का विशेष महत्व है इसलिए सफेद की बजाय पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें। ये बहुत शुभ होता है। सरस्वती पूजा में पेन और कॉपी जरूर शामिल करें। केसर और पीले चंदन का तिलक करें और खुद भी लगाएं।
बसंत पंचमी का महत्व
भारतीय पंचांग में 6 ऋतुएं होती हैं। इनमें से बसंत को ‘ऋतुओं का राजा’ कहा जाता है। बसंत फूलों के खिलने और नई फसल के आने का त्योहार है। ऋतुराज बसंत का बहुत महत्व है। इस मौसम में खेतों में सरसों की फसल पीले फूलों के साथ, आमों के पेड़ों पर आए फूल, चारों तरफ हरियाली और गुलाबी ठंड मौसम को और भी खुशनुमा बना देती है।
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यदि सेहत की दृष्टि से देखा जाए तो यह मौसम बहुत अच्छा होता है। इंसानों के साथ पशु-पक्षियों में नई चेतना का संचार होता है। यदि हिंदू मान्यताओं के मुताबिक देखा जाए तो इस दिन देवी सरस्वती का जन्म हुआ था। यही कारण है कि यह त्योहार हिन्दुओं के लिए बहुत खास है। इस त्योहार पर पवित्र नदियों में लोग स्नान आदि करते हैं। इसके साथ ही बसंत मेले आदि का भी आयोजन किया जाता है।