Written By : Amisha Gupta
जस्टिस संजीव खन्ना भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश बने हैं। अपने संक्षिप्त, लेकिन गहन कार्यकाल के दौरान वे कई महत्वपूर्ण निर्णयों और संवैधानिक मुद्दों पर अपने विचारों के लिए जाने जाते हैं।
जस्टिस खन्ना की न्यायिक दृष्टि और संवेदनशीलता ने उन्हें देश की न्यायपालिका में एक सम्मानजनक स्थान दिलाया है। इस लेख में हम उनके परिवारिक पृष्ठभूमि, कानूनी करियर, महत्वपूर्ण निर्णय और न्यायिक दृष्टिकोण पर प्रकाश डालेंगे। जस्टिस संजीव खन्ना का जन्म 14 मई 1960 को दिल्ली में हुआ था। वे न्यायिक परिवार से आते हैं और उनके चाचा जस्टिस हंसराज खन्ना भी एक प्रसिद्ध न्यायाधीश थे, जिन्होंने 1976 में इंदिरा गांधी के आपातकालीन दौर में अपने संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए प्रसिद्ध केशवानंद भारती मामले में ऐतिहासिक निर्णय दिया था। इस फैसले में उन्होंने यह सिद्धांत स्थापित किया कि संविधान के मूल ढांचे में कोई भी बदलाव नहीं किया जा सकता। उनके चाचा के इस साहसिक फैसले का असर जस्टिस संजीव खन्ना पर पड़ा और इससे उनके न्यायिक दृष्टिकोण को एक संवैधानिक और मानवाधिकारों की रक्षा के प्रति झुकाव मिला।
जस्टिस खन्ना ने अपनी कानून की पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय से पूरी की और 1983 में उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट में वकालत की शुरुआत की। वकील के रूप में उन्होंने मुख्यतः नागरिक, कॉर्पोरेट और संवैधानिक मामलों में विशेषज्ञता प्राप्त की।
उनकी मेहनत, बुद्धिमत्ता और संवेदनशीलता ने उन्हें तेजी से सफलता दिलाई। इसके बाद, उन्हें 2005 में दिल्ली हाई कोर्ट में न्यायाधीश नियुक्त किया गया। जज के रूप में उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई की और न्यायिक प्रणाली में सुधार लाने का प्रयास किया जस्टिस खन्ना को 2019 में सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया। सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कई संवेदनशील और ऐतिहासिक मामलों में महत्वपूर्ण निर्णय दिए। उनकी न्यायिक शैली में संवैधानिक मूल्यों की रक्षा और नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा पर जोर है। वे एक निष्पक्ष, संवेदनशील और गहरी समझ रखने वाले न्यायाधीश के रूप में जाने जाते हैं। जस्टिस संजीव खन्ना एक संवेदनशील, निष्पक्ष और गहरी समझ रखने वाले न्यायाधीश हैं। उनके फैसलों में संवैधानिक मूल्यों और नागरिक अधिकारों की रक्षा की झलक मिलती है।
मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल छोटा है, लेकिन वे अपनी न्यायिक दृष्टि और संवेदनशीलता से भारतीय न्यायपालिका में सकारात्मक बदलाव लाने की क्षमता रखते हैं।
उनके द्वारा किए गए फैसले न्यायिक प्रणाली में सुधार लाने, मानवाधिकारों की रक्षा करने और संविधान के मूल सिद्धांतों की सुरक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।जस्टिस खन्ना को 2019 में सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया। सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कई संवेदनशील और ऐतिहासिक मामलों में महत्वपूर्ण निर्णय दिए। उनकी न्यायिक शैली में संवैधानिक मूल्यों की रक्षा और नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा पर जोर है। वे एक निष्पक्ष, संवेदनशील और गहरी समझ रखने वाले न्यायाधीश के रूप में जाने जाते हैं। जस्टिस संजीव खन्ना एक संवेदनशील, निष्पक्ष और गहरी समझ रखने वाले न्यायाधीश हैं। उनके फैसलों में संवैधानिक मूल्यों और नागरिक अधिकारों की रक्षा की झलक मिलती है। मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल छोटा है, लेकिन वे अपनी न्यायिक दृष्टि और संवेदनशीलता से भारतीय न्यायपालिका में सकारात्मक बदलाव लाने की क्षमता रखते हैं। उनके द्वारा किए गए फैसले न्यायिक प्रणाली में सुधार लाने, मानवाधिकारों की रक्षा करने और संविधान के मूल सिद्धांतों की सुरक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।
जस्टिस खन्ना को 2019 में सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया। सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कई संवेदनशील और ऐतिहासिक मामलों में महत्वपूर्ण निर्णय दिए।
उनकी न्यायिक शैली में संवैधानिक मूल्यों की रक्षा और नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा पर जोर है। वे एक निष्पक्ष, संवेदनशील और गहरी समझ रखने वाले न्यायाधीश के रूप में जाने जाते हैं। जस्टिस संजीव खन्ना एक संवेदनशील, निष्पक्ष और गहरी समझ रखने वाले न्यायाधीश हैं। उनके फैसलों में संवैधानिक मूल्यों और नागरिक अधिकारों की रक्षा की झलक मिलती है। मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल छोटा है, लेकिन वे अपनी न्यायिक दृष्टि और संवेदनशीलता से भारतीय न्यायपालिका में सकारात्मक बदलाव लाने की क्षमता रखते हैं। उनके द्वारा किए गए फैसले न्यायिक प्रणाली में सुधार लाने, मानवाधिकारों की रक्षा करने और संविधान के मूल सिद्धांतों की सुरक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। जस्टिस संजीव खन्ना एक संवेदनशील, निष्पक्ष और गहरी समझ रखने वाले न्यायाधीश हैं। उनके फैसलों में संवैधानिक मूल्यों और नागरिक अधिकारों की रक्षा की झलक मिलती है। मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल छोटा है, लेकिन वे अपनी न्यायिक दृष्टि और संवेदनशीलता से भारतीय न्यायपालिका में सकारात्मक बदलाव लाने की क्षमता रखते हैं। उनके द्वारा किए गए फैसले न्यायिक प्रणाली में सुधार लाने, मानवाधिकारों की रक्षा करने और संविधान के मूल सिद्धांतों की सुरक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।