महाभारत के युद्ध के अंत में अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र छोड़ दिया था जिसके चलते लाखों लोग मारे गए और सम्पूर्ण धरती विनाश के कगार पर थी। तब कोई उपाय ना देखकर अर्जुन को भी ब्रह्मास्त्र चलाना पड़ा। दो ब्रह्मास्त्रों के इस प्रकार विनाशलीला से कृष्ण क्रोधित हो गए थे और उन्होंने अश्वत्थामा और अर्जुन दोनों को अपने ब्रह्मास्त्र वापस लेने के लिए कहा। अर्जुन ने तो कृष्ण के कहने पर ब्रह्मास्त्र वापस ले लिया। लेकिन अश्वत्थामा ने यह कह कर मना कर दिया की उसे ब्रह्मास्त्र वापस लेना नहीं आता, लेकिन दिशा मोड़ना आता है। तब अश्वत्थामा से अपने ब्रह्मास्त्र की दिशा अभिमन्यु की गर्भवती पत्नी उत्तरा की ओर मोड़ दी। कृष्ण ने अस्त्र का प्रभाव काम किया लेकिन ब्रह्मास्त्र के प्रभाव से उत्तरा का गर्भपात हो गया।
इतने भीषण अस्त्र का ज़िम्मेदारी से प्रयोग ना करने के कारण कृष्ण ने अश्वत्थामा को भयंकर शाप दे दिया। महा भीषण कृत्य से दुखी महर्षि व्यास ने भी श्रीकृष्ण के वचनों का अनुमोदन किया।
कहते हैं कि अश्वत्थामा इस शाप के बाद रेगिस्तानी इलाके में चला गया था और वहां रहने लगा था।
कुछ लोग मानते हैं कि वह अरब चला गया था। उत्तरप्रदेश में प्रचलित मान्यता अनुसार अरब में उसने कृष्ण और पांडवों के धर्म को नष्ट करने की प्रतिज्ञा ली थी।
हालांकि भारत में लोग दावा करते हैं कि अमुक जगहों पर अश्वत्थामा आता रहता है, लेकिन अब तक इसकी सचाई की पुष्टि नहीं हुई है। यदि हम यह मानें कि उनको मात्र 3,000 वर्षों तक जिंदा रहने का ही शाप था, तो फिर वे अब तक मर चुके होंगे, क्योंकि महाभारत युद्ध को हुए 3,000 वर्ष कभी के हो चुके हैं। लेकिन यदि उनको कलिकाल के अंत तक भटकने का शाप दिया गया था तो अभी बहुत समय तक सहना पड़ेगा यह श्राप।