लोकसभा चुनाव के छठे चरण के मतदान रविवार 12 मई को होने वाला है, जहां पूरे देश की नजर दिल्ली की सातों लोकसभा सीटें पर होगी।अगर बात करें राजधानी दिल्ली के लोकसभा सीट की तो पिछले 22 सालों में हिंदुस्तान की सत्ता पर उसी पार्टी का राज रहा जिसने लोकसभा चुनाव में दिल्ली की जनता का विश्वास जीता है। इस दौरान दिल्ली वालों ने कभी ‘भारतीय जनता पार्टी’ तो कभी ‘कांग्रेस’ की सत्ता को जिम्मेदारी सौंपी। यह एक इतिहास रहा कि दिल्ली में जिसकी बहुमत ज्यादा हिंदुस्तान भी उसी का।
बात करें अगर 1998 की तो बीजेपी ने दिल्ली लोकसभा सीट की 7 में से 6 सीटें पर जीत दर्ज की। उस समय बीजेपी ने गठबंधन के साथ मिलकर तो सरकार बना लिया लेकिन, 13 महीने के बाद पुनः 1999 में लोकसभा चुनाव हुआ। जिसके बाद बीजेपी ने दिल्ली के सातों के सातों सीट अपने नाम किया।
2004 चुनाव के दौरान दिल्ली की जनता बीजेपी से त्रस्त होकर एक बार फिर कांग्रेस के तरफ रुख किया और उस समय कांग्रेस ने 7 सीटों में 6 सीट जीता। बीजेपी के हाथ सिर्फ एक सीट ही आयी। जिसके बाद कांग्रेस की सरकार फिर से केंद्र में आयी।
लोकसभा चुनाव 2009 के दौरान कांग्रेस ने दिल्ली के कांग्रेस ने सातों में से सातों जीतने में कामयाब रही। । कांग्रेस की सरकार फिर से केंद्र में आयी और मनमोहन सिंह दूसरी बार हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री बने।
2014 लोकसभा चुनाव के दौरान दिल्ली पूरी तरह मोदी लहर में बह गयी और बीजेपी ने कांग्रेस को दिल्ली की सातों सीट पर भाड़ी अंतर से हराते हुए सुफरा साफ़ कर दिया। अब ये देखने वाली बात होगी 2019 में दिल्ली के किला को फतह कर कौन सी पार्टी के सर पर हिंदुस्तान का ताज सजने वाला है।