हाल ही में हम सभी ने विश्व पर्यावरण दिवस (6/6/2019) को मनाया । लेकिन बढ़ रहे प्रदूषण और लोगों को अनैतिक जिम्मेदारी जिस तरह से तेजी पूर्वक पर्यावरण पर असर कर रहा है मानो विनाश की स्तिथि बन रही है। समय पर अगर रोकथाम के ठोस कदम नहीं उठाया गया तो प्रकृति एक भयानक रूप ले सकता है।
आज के समय में प्रदूषित जलवायु के चलते कई तरह की बीमारिया लाइलाज़ साबित हो चुकी है। पर्यावरण का बिगड़ता असंतुलन एक गंभीर समस्या बनकर उभरता हुआ नज़र आ रहा है। आधुनिक टेकनोलॉजी ने जिस तरह से जीवन को बुरी तरह ब्यस्त किया, इसका प्रभाव बहुत हद तक पर्यावरण के ऊपर असर डाला है।
प्रकृति ने मनुष्य को हर चीज दी, लेकिन मनुष्य ने अपने फायदे के लिए प्रकृति को हमेशा नुकसान पहुँचाया है। दुःख इस बात का है कि जिस तरह से पर्यावरण दुषित हो रहा है, उस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा। लगातार पानी, हवा खराब होते जा रहे है। लेकिन, मनुष्य शायद भूल चुका है कि रोटी- रोजगार हमेशा रहेगा अगर प्रकृति खराब हो गयी तो न मनुष्य रहेगा और न कोई जीवन। अगर हम पर्यावरण को गंभीर मुद्दा नहीं बनाते तो पृथ्वी और अपने जीवन के असितत्व को जल्द ही खो देंगे।
मनुष्य अपने सुविधा के लिए लगातार वृक्षो, पौधे की भारी मात्रा में कटाई करते है, लेकिन शायद वो भूल चुके है की उनके वजह से पर्यावरण पर कितना असर हो रहा है। जिसके चलते प्रकृति भी भयानक रूप धारण कर चुकी है। आज के समय में पानी की मात्रा में कमी हो रही है। अधिकांश शहर भयंकर गर्मी की चपेट में आ गए है। अब आ गया समय ताकि एकसाथ मिलकर प्रकृति के दायित्व के प्रति सजग हो। हमारी कोशिश ज्यादा से ज्यादा वृक्षारोपण की होनी चाहिए, जिससे इस पृथ्वी को दोबारा शीतलता प्रदान कर सके।
लोगों को अब जागरूक होना पड़ेगा की प्रकृति ही जीवन का मूल्य आधार है। पर्यावरण के बिना हमारा जीवन कैसा होगा,, बिलकुल शून्य। पृथ्वी अगर जीवन का अस्त्तित्व है तो वह पर्यावरण के बिना संभव नहीं। अब आ गया समय पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी समझा जाये।