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अब अमेठी में बनेगी Kalashnikov

भारत और रूस ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले में 500,000 से अधिक AK-203 असॉल्ट राइफलों के संयुक्त उत्पादन के लिए 5,100 करोड़ रुपये के एक बहुप्रतीक्षित सौदे पर हस्ताक्षर किया।

भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनके रूसी समकक्ष सर्गेई शोइगु के बीच द्विपक्षीय बैठक में सौदे को अंतिम रूप दिया गया। अधिकारियों ने कहा कि दोनों देशों ने 2021-31 के लिए अपनी सैन्य-तकनीकी सहयोग व्यवस्था को भी नवीनीकृत किया है।

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोमवार को मुलाकात की और भारत और रूस के बीच सदियों पुराने संबंधों को बढ़ाने के लिए अपनी पहली ‘2 + 2’ मंत्रिस्तरीय वार्ता शुरू की।

इस समझौते को लेकर केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बीते दिन सोमवार को अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए कहा, “भारत, रूस के मजबूत समर्थन की सराहना करता है। हमें उम्मीद है कि हमारे सहयोग से पूरे क्षेत्र में शांति, समृद्धि और स्थिरता आएगी। खुशी है कि छोटे हथियारों और सैन्य सहयोग से संबंधित कई समझौतों /अनुबंधों/प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए गए।”

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शिखर सम्मेलन के दौरान हो सकता है कई समझौते पर हस्ताक्षर

बता दें कि यह समझौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच वार्षिक शिखर सम्मेलन से ठीक पहले हुआ है। इस दौरान पुतिन ने यह कहा कि भारत एक परीक्षित सहयोगी और एक विश्व शक्ति है और दोनों देश एक साथ भविष्य की ओर देख रहे हैं।

दो रक्षा मंत्रियों के बीच द्विपक्षीय बैठक के अलावा, शिखर सम्मेलन से पहले निर्धारित अन्य कार्यक्रमों में विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव के बीच एक बैठक और रक्षा एवं विदेश मंत्रियों के उद्घाटन ‘2+2’ संवाद शामिल है। शिखर सम्मेलन के दौरान व्यापार, अंतरिक्ष, प्रौद्योगिकी और ऊर्जा में समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने की उम्मीद है।

सैन्य और सैन्य तकनीकी सहयोग पर भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग (IRIGC-M&MTC) की 20वीं बैठक के अंत में सोमवार को दोनों देशों द्वारा रक्षा के क्षेत्र में चार अलग-अलग समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए, जिसमें से 6 लाख AK-203 असॉल्ट राइफल की खरीद के लिए एक अनुबंध भी शामिल है। दोनों पक्षों के बीच हस्ताक्षरित चार समझौतों में कलाश्निकोव श्रृंखला के छोटे हथियारों के निर्माण के क्षेत्र में सहयोग पर भारत और रूस के बीच समझौते में संशोधन पर एक प्रोटोकॉल शामिल है।

गौरतलब है कि सरकार ने शनिवार को उत्तर प्रदेश में इंडो-रूसी राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड नामक एक संयुक्त उद्यम के तहत AK-203 राइफल्स के निर्माण की योजना को मंजूरी दी थी, जिसका गठन एडवांस्ड वेपन्स एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड, मुनिशन इंडिया लिमिटेड और रूस के रोसोबोरोन एक्सपोर्ट और कलाश्निकोव द्वारा किया गया था।

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सेना की परिचालन प्रभावशीलता को बढ़ाएगी यह डील

सुरक्षा पर कैबिनेट कमेटी (CCS) ने पिछले हफ्ते इस परियोजना को मंजूरी दी थी। AK-203 राइफलें तीन दशक से अधिक समय बाद शामिल की गई हैं और INSAS राइफलों की जगह लेंगी।

रूसी मूल की राइफल के इस आधुनिक संस्करण में 300 मीटर या तीन से अधिक फुटबॉल मैदानों के प्रभावी रेंज है, साथ ही यह हल्का और मजबूत भी है। यह असॉल्ट राइफल ज्यादा बड़े यानी 7.62 मिमी राउंड फायर करते हैं, जिसमें बेहतर मारक क्षमता होती है, जबकि कम स्टॉपिंग पावर वाली समान राइफलें छोटे 5.56 मिमी राउंड फायर करती हैं।

नई राइफलों में उपयोग की जाने वाली आधुनिक तकनीक उन्हें विशेष बलों के मिशन के लिए उपयोगी विशेष स्थलों और बेहतर ग्रिप जैसे उच्च तकनीक वाले ऐड-ऑन का उपयोग करने में सक्षम बनाएगी। सरकार ने कहा है कि ये असॉल्ट राइफलें उग्रवाद और आतंकवाद विरोधी अभियानों में भारतीय सेना की परिचालन प्रभावशीलता को बढ़ाएगी।

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रुस से आता है भारत का 62 फीसदी हथियार

केंद्र ने अमेठी के कोरवा में इन AK-203 असॉल्ट राइफलों के उत्पादन की योजना को मंजूरी दी और इसका उत्पादन जल्द ही शुरू हो जाएगा। यह परियोजना मोदी सरकार की मेक इन इंडिया पहल के तहत रूसी सरकार के साथ एक संयुक्त उद्यम है।

अमेठी जिले के कोरवा में अपनी निर्माण इकाई से पांच लाख AK-203 श्रृंखला असॉल्ट राइफल तैयार करने के साथ, उत्तर प्रदेश में रक्षा निर्माण क्षेत्र को एक बड़ा बढ़ावा मिलेगा। यह परियोजना राज्य सरकार की रक्षा औद्योगिक गलियारा परियोजना के अतिरिक्त है।

21 फरवरी, 2018 को पीएम नरेंद्र मोदी ने बुंदेलखंड क्षेत्र में 20,000 करोड़ रुपये के रक्षा औद्योगिक गलियारे की घोषणा की थी, जिसे राज्य के सबसे पिछड़े क्षेत्रों में से एक माना जाता है। इस डिफेंस कॉरिडोर में छह नोड हैं, जिनमें अलीगढ़, आगरा, झांसी, चित्रकूट, कानपुर और लखनऊ शामिल हैं।

बता दें कि रूस हमेशा से ही भारत का एक मित्र देश रहा है। भारत के कुल हथियार आयात का लगभग 62 प्रतिशत हिस्सा अकेले रूस से ही आता है। इससे पहले भारत रूस के साथ एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम S-400 को खरीदने की भी डील कर चुका है जिसकी आपूर्ति आरंभ भी हो चुकी है।

आपको बता दें कि यह डील ऐसे समय में की गई थी, जब भारत पर लगातार अमेरिका की तरफ से प्रतिबन्ध लगाने का खतरा मंडरा रहा था। राष्ट्रपति पुतिन स्वयं भी रूस से भारत के रिश्तों को प्राथमिकता देते हैं।

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