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अब महिलाएं भी बन सकेगी नौसेना का हिस्सा, केंद्र सरकार ने लिया बड़ा फैसला

केंद्र सरकार द्वारा लिया गया एक बड़ा फैसला नेशनल डिफेंस एकेडमी के कोर्स और परीक्षा में अब महिलाएं भी ले सकेंगे हिस्सा। बुधवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में या ऐलान किया कि अब महिलाएं भी नेशनल डिफेंस अकैडमी कोर्स में हिस्सा ले सकेंगी।

बता दें कि यह एक ऐतिहासिक फैसला है जो केंद्र सरकार द्वारा लिया गया है। सुप्रीम कोर्ट को यह जानकारी केंद्र सरकार ने उस याचिका पर सुनवाई के दौरान दी जिसमें महिला उम्मीदवारों को एनडीए और नौसेना अकादमी परीक्षा में बैठने और प्रशिक्षण की अनुमति के लिए मांग की गई थी।

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बता दें कि कोर्ट में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने जस्टिस संजय किशन कौल की बेंच से कहा कि उन्हें यह साझा करते हुए खुशी हो रही है कि लड़कियों को एनडीए में प्रवेश दिया जाएगा। उनका कहना था कि, “हम विस्तृत हलफनामा पेश करेंगे। 24 जून को होने वाली परीक्षा को इस साल नवंबर तक के लिए टाल दिया गया था। कृपया इस परीक्षा में यथास्थिति प्रदान करें, क्योंकि इसके लिए प्रक्रिया और ढांचागत परिवर्तन की आवश्यकता है।”

वहीं एएसजी भाटी ने कोर्ट से कहा कि अभी सशस्त्र सेवाओं ने एनडीए में महिलाओं को शामिल करने का निर्णय लिया है और अन्य मुद्दों की जांच की जा रही है। बता दें कि उन्होंने इस मामले में पूरा पक्ष रखने के लिए कोर्ट से दो सप्ताह का समय मांगा है।

इस पर बेंच का कहना था कि हमने अधिकारियों को कदम उठाने के लिए कहा था। वहीं कोर्ट ने कहा, “सशस्त्र बल देश में सम्मानित शाखा हैं, लेकिन लैंगिक समानता के लिए उन्हें और अधिक करने की आवश्यकता है। हम सरकार की ओर से उठाए गए कदम से खुश हैं। हम मामले की अगले सप्ताह सुनवाई करेंगे। सुधार एक दिन में नहीं हो सकते, हम भी जागरूक हैं।”

इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि हम एएसजी की सराहना करते हैं कि उन्होंने सशस्त्र सेवाओं को अधिक लैंगिक संतुलन दृष्टिकोण अपनाने के लिए राजी किया। बेंच ने कहा, “हम आशा करते हैं कि रक्षा बल महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को महत्व देंगे। हम चाहते हैं कि वे अदालतों के हस्तक्षेप के बजाय लैंगिक भेदभाव के मामलों में सक्रिय दृष्टिकोण अपनाएं।” इस मामले में अगली सुनवाई की तारीख 22 सितंबर रखी गई है।

कोर्ट में दर्ज की गई याचिका में कहा गया था कि महिलाओं को केवल लिंग के आधार पर एनडीए का हिस्सा नहीं बनने दिया जाता है।जो समानता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। याचिका में संबंधित अधिकारियों को निर्देश देने का आग्रह किया गया है कि योग्य महिला उम्मीदवारों को ‘राष्ट्रीय रक्षा अकादमी’ और ‘नौसेना अकादमी परीक्षा’ में बैठने और एनडीए में प्रशिक्षण देने की अनुमति दी जाए।

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