सेंट्रल डेस्क प्राची जैन :- महाराष्ट्र में भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टी शिवसेना के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान जारी है। दोनों पार्टियों में जहां सत्ता को लेकर आमराय नहीं बन रही है। वहीं शिवसेना अपने मुखपत्र सामना के जरिए बार-बार भाजपा पर निशाना साध रही है। अब शिवसेना ने यूरोपियन सांसदों के कश्मीर दौरे को लेकर भाजपा का आड़े हाथ लिया है।
शिवसेना ने कश्मीर में यूरोपियन दल, जरूरत है क्या? शीर्षक को लेकर संपादकीय लिखा है। जिसमें उसका कहना है कि कश्मीर में जब सब ठीक चल रहा है तो ऐसे में यूरोपियन सांसदों के दल का कश्मीर में आने का क्या प्रयोजन है? कश्मीर अंतरराष्ट्रीय मुद्दा नहीं है। इस मामले को पंडित नेहरू संयुक्त राष्ट्र में लेकर गए जिसे लेकर आज भी बहस होती है। ऐसे में यूरोपियन समुदाय के प्रतिनिधिमंडल के जम्मू-कश्मीर में जाने से विरोधियों को बेवजह का एक मुद्दा मिल जाएगा।
सामना में शिवसेना ने लिखा, ‘तुम्हें संयुक्त राष्ट्र का हस्तेक्षप स्वीकार्य नहीं है लेकिन यूरोपियन यूनियन का कश्मीर आकर निगरानी करना हिंदुस्तान की आजादी और सार्वभौमिकता पर क्या बाहरी हमला नहीं है? कश्मीर में आज भी नेताओं के प्रवेश पर पाबंदी है। ऐसे में यूरोपियन यूनियन के 27 सदस्य कश्मीर आकर क्या करनेवाले हैं, गृह मंत्री इसका जवाब देने में समर्थ हैं’।
शिवसेना ने आगे कहा, ‘अमेरिकी सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने कश्मीर की स्थिति पर चिंता जताई थी। उस चिंता के बाद यूरोपियन यूनियन के लोग कश्मीर की स्थिति की निगरानी करने के लिए आए हैं।’ शिवसेना का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने अुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को निरस्त करके राष्ट्रीय भावनाओं को प्रज्वलित कर दिया है।
सामना में आगे लिखा है कि हम केवल इतना कहना चाहते हैं कि यूरोपियन यूनियन कश्मीर घूमकर शांतिपूर्वक लौट जाएं और वहां का माहौल न बिगड़ सके। कश्मीर की लड़ाई पाक समर्थित आतंकवाद से है। इस लड़ाई को मोदी सरकार जीत चुकी है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद शिवसेना तीन बार भाजपा पर सामना के जरिए निशाना साध चुकी है। सबसे पहले उसने महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों पर भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा था कि यह महाजनादेश नहीं बल्कि जनादेश है।
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