पाकिस्तान की विपक्षी पार्टियां सत्ता में मौजूद इमरान खान की सरकार के खिलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव लाने पर गंभीरता से विचार कर रही हैं बता दे की पाकिस्तान में विपक्ष लंबे समय से प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार के खिलाफ़ लामबंद है और एक बार फिर अब पाकिस्तान में विपक्ष इमरान खान की सरकार को गिराने के लिए तेज़ी से प्रयास कर रहा है
खबरों के मुताबिक 25 जनवरी को सरकार विरोधी विपक्षी दलों के बड़े गठबंधन, पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट की अहम मीटिंग होने वाली है वही पीडीएम के अध्यक्ष मौलाना फ़ज़लुर रहमान ने बुधवार को घोषणा करते हुए कहा की इसी मीटिंग में गठबंधन के वरिष्ठ नेता प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव लाने के विकल्प पर फैसला करेंगे.
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में विपक्षी में विपक्ष के नेता शाहबाज़ शरीफ़ के करीब खड़े होकर फ़ज़लुर रहमान ने कहा, ” सरकार विरोधी गठबंधन की पार्टियां इस मौजूदा सरकार को तुरंत सत्ता से बाहर करने के विकल्पों पर विचार कर रही हैं. साथ ही ” उन्होंने इमरान ख़ान की गठबंधन सरकार में शामिल दलों से कहा, “हम इस गठबंधन सरकार में मौजूद पार्टियों से अपील करते हैं कि वो पाकिस्तान के राष्ट्रहित के बारे में और आम आदमी के बारे में सोचें.”
इसके अलावा जमियत उलेमा-ए इस्लाम के चीफ़ फ़ज़लुर रहमान ने कहा कि सरकार के खिलाफ़ घोषित किया गया लॉन्ग मार्च अब टाला नहीं जा सकता और 23 मार्च को पीडीएम पाकिस्तान तरहरीक-ए-इंसाफ़ की अगुवाई वाली सरकार को बेदखल करने के लिए राजधानी की ओर कूच करेगा. हालांकि उन्होंने कहा कि लॉन्ग मार्च की योजना को अंतिम रूप 25 जनवरी को होने वाले ऑल पार्टी सेशन में दिया जाएगा.
वही फ़ज़लुर रहमान ने कहा, “इमरान सरकार आम आदमी की परेशानी को नहीं समझती है जिसके चलते उन्होंने कहा की हम प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी सरकार को आज़ाद पाकिस्तान को दोबारा गुलाम बनाने का हक़ नहीं देते. बता दे की फज़लुर रहमान से पहले मीडिया से बात करते हुए पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज़ के लीडर शाहबाज़ शरीफ़ से कहा कि पाकिस्तान के 74 साल के इतिहास में जितनी भी सरकारें आईं हैं, उनमें इमरान खान की PTI सरकार सबसे नाकाम रही है, जिसकी वजह से पाकिस्तान अपने सबसे बुरे दौर से गुज़र रहा है.
बता दे की PML-N प्रेसिडेंट शाहबाज़ शरीफ़ ने PDM के अध्यक्ष के साथ अपनी मुलाकात में इमरान ख़ान के खिलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने पर भी चर्चा की. उन्होंने कहा, “इमरान सरकार पाकिस्तानी नागरिकों से ज़्यादा अंतरर्राष्ट्रीय संस्थानों के हितों और उनके एजेंडों को वरीयता दे रही है