ममता सरकार की, सरकारी नौकरियों में भर्ती के लिए नई शर्त
यदि बात राज्य सरकार की ओर से होने वाली भर्ती की हो तो बंगाल में स्थिति और भी अलग है। शिक्षा विभाग में चतुर्थ श्रेणी के कर्मियों की नियुक्ति को लेकर क्या हुआ है वह कलकत्ता हाई कोर्ट की ओर से कुछ दिनों पहले दिए गए निर्देशों से सर्वविदित है।
बता दे की राज्य में शिक्षकों की बहाली में भी लगातार गड़बड़ी के आरोप लगाकर हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में मुकदमा होते रहे हैं। इन सबके बीच बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य के सरकारी नौकरी के लिए एक और शर्त रखने की बात कही है। उनका कहना है कि बंगाल में सरकारी नौकरी सिर्फ उन्हीं लोगों को मिलेगी, जो बांग्ला भाषा जानते हैं।
मुख्यमंत्री का कहना है कि सरकारी नौकरियों में बांग्ला भाषा जानने वालों को प्राथमिकता दी जाए। वैसे भी बंगाल सरकार के दफ्तरों में बांग्ला और अंग्रेजी में ही कार्य होता है।
बताया जा रहा है की उस पर भी यह नई शर्त से अन्य प्रदेश के लोग यहां आवेदन नहीं कर पाएंगे। क्या इस तरह के बयान से क्षेत्रवाद नहीं बढ़ेगा इसे समझने की जरूरत है।
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क्या राज्य सरकार काबिल कर्मचारी व अधिकारियों से वंचित नहीं होंगे ऐसी वयवस्था को भी समझने की जरूरत है। बंगाल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मालदा में प्रशासनिक बैठक के दौरान कहा कि राज्य सरकार की नौकरियों में भर्ती के लिए स्थानीय लोगों और स्थानीय बंगाल भाषा जानने वालों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
आज स्थानीय लोग प्रदेश को, राज्य की समस्या को, सरकार के कामों को अच्छे से समझते हैं। उन्हें स्थानीय लोगों के साथ संवाद करने में कोई दिक्कत नहीं होती और वह उनकी समस्या का निदान आसानी से कर लेते हैं,
जबकि बांग्ला भाषा की जानकारी के अभाव में लोग न तो स्थानीय लोगों से संवाद कर पाते हैं और न ही समस्या को समय पर पूरा कर पाते हैं। एसडीओ और बीडीओ बांग्ला में लिखे गए सरकारी पत्रों को पढ़ने या उनका जवाब देने में असमर्थ हो जाते हैं। इसलिए स्थानीय भाषा का ज्ञान जरूरी है।