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नागमणि पर बिहार महागठबंधन में राजनीति तेज, माधव आनंद ने बताया बिन पेंदी का लोटा

सेंन्ट्रल डेस्क, साहुल पाण्डेय : बिहार में महागठबंधन में बड़ा रार देखने को मिल रहा है. महागठबंधन की पार्टियों में लगातार टूट मची हुई है. पहले हम से बड़े नेता वृषण पटेल और अब रालोसपा रालोसपा से नागमणि को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। नागमणि ने बाहर आते ही उपेन्द्र कुशवाहा और उनकी पार्टी के खिलाफ जहर उगलना शुरू कर दिया है। वहीं बिहार महागठबंधन में राजनीति भी तेज हो गई है। रालोसपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता माधव आनंद ने नागमणि को बिन पेंदी का लोटा बताया है।

नागमणि के रालोसपा से बाहर जाने के बाद महागठबंधन के नेता उपेंद्र कुशवाहा के पक्ष में आ गए है तो वहीं एनडीए लगातार रालोसपा और उपेन्द्र कुशवाहा को घेरे में ले रही है. एक ओर जहां बीजेपी नेता  कह रहे हैं कि नागमणि ने उपेन्द्र कुशवाहा की पोल खोल कर रख दी है तो वहीं महागठबंधन के नेता आरोप लगा रहे हैं कि नागमणि सिर्फ अपने परिवार के बारे में सोचते हैं. यहीं कारण है कि उन्हे पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है.

हाल हीं में कांग्रेस में शामिल हुए तारिक अनवर ने उपेंन्द्र कुशवाहा के सपोर्ट में बोलते हुए कहा कि नागमणि के जाने से महागठबंधन या रालोसपा को कोई फर्क नहीं पड़ता है। नागमणि पार्टी छोड़ने का रिकॉर्ड बना रहे हैं। वे कभी इस दल, तो कभी उस दल करते रहते हैं।

बिन पेंदी के लोटा हैं नागमणि

वहीं रालोसपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने माधव आनंद ने न्यूज10 इंडिया से बात करते हुए कहा कि नागमणि जो आरोप लगा रहे हैं वे उसका प​रमाण दें. उन्होंने कहा कि नागमणि सिर्फ अपने परिवार के बारे में सेाचते हैं। उन्होंने कहा कि नागमणि ने खुद रालेसपा नहीं छोड़ी, बल्कि उन्हें उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखाया।

https://youtu.be/maQBOLh-ut0

वहीं नागमणि द्वारा लगाए गए आरोपों को लेकर बोलते हुए माधव आनंद ने कहा कि वे बिन पेंदी के लोटा हैं। उनका कोई जानाधार नहीं है. वहीं उन्होंने कहा कि अगर नागमणि ये सीट खरीदने का आरोप मुझपर लगा रहे हैं तो वे इसे प्रमाणित करें.

बता दें कि नागमणि ने रविवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने इस्तीफा देने के बाद उपेंद्र कुशवाहा पर कई गंभीर आरोप भी लगाए। उन्होंने टिकट बेचने से लेकर नौटंकी बेचने तक का आरोप लगाये। हालांकि शुक्रवार को ही रालोसपा ने नागमणि को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष के पद से हटा दिया था तथा तीन दिनों में जवाब तलब किया था। लेकिन नागमणि ने जवाब देने के बजाय इस्तीफा सौंपना ठीक समझा।

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