सेंट्रल डेस्क प्राची जैन: मशहूर कोरियोग्राफर प्रभुदेवा लगातार निर्देशन में भी अपने पैर जमाते जा रहे हैं। साल 2009 में सलमान खान की फिल्म ‘वांटेड’ के निर्देशन के बाद अब प्रभु ‘दबंग 3’ और ‘राधे- द मोस्ट वांटेड भाई’ में भी निर्देशन का कार्यभार संभाल रहे हैं। आमतौर पर मीडिया से बात करने से कतराने वाले प्रभु देवा ने अमर उजाला के लिए अमित कुमार सिंह से दिल खोलकर बात की।
इतने संघर्ष के बाद आप कामयाबी के इस मुकाम पर पहुंचे हैं। इस सफरनामे को कैसे देखते हैं?
अभी तक मेरे अंदर वह भाव नहीं आया है। हो सकता है कि आगे के 15 सालों मैं उस तरह से सोचना शुरू करूं। शायद आज से सालों बाद जब मैं अपने स्कूल के दोस्तों के साथ बैठूं तब कहीं जाकर हम हंसते हुए, मजाक करते हुए इन सब चीजों पर बात करें। हालांकि अभी तक मुझे पीछे मुड़कर अपने जीवन की समीक्षा करने का मौका नहीं मिला है।
सलमान खान से आप पहली बार कब मिले थे?
मैंने बहुत साल पहले एक फिल्म ‘चंद्रमुखी’ की थी। उस फिल्म में मैं कोरियोग्राफर था। तब मैं सलमान सर को बहुत अच्छे से नहीं जानता था। उस समय हम दोनों ही युवा थे। उस दौरान मैं मुंबई नया-नया ही आया था। कुछ दिन रहने के बाद मुझे अनुभव हुआ कि यहां हम जो सोच कर आते हैं उससे सबकुछ काफी अलग है।
सलमान खान के साथ आप लगातार तीसरी फिल्म ‘राधे- द मोस्ट वांटेड भाई’ कर रहे हैं। सलमान खान निर्देशकों कब ऐसा भरोसा दिखाते हैं?
जब सलमान खान किसी पर भरोसा करते हैं तो वह दिल से करते हैं। वह दिल से किसी को अपना बना लेते हैं। वहीं अगर उन्हें किसी पर भरोसा हो गया तो वह लगातार उसके साथ काम करने से बिल्कुल भी नहीं हिचकिचाते हैं।
जब आपने पहली बार सलमान को ‘वांटेड’ में डायरेक्ट किया था उस समय आपके दिमाग में क्या चल रहा था?
मैं 25 साल से डांस के साथ जुड़ा हुआ था लेकिन निर्देशन मैंने काफी बाद में शुरू किया था। मुझे नहीं पता था कि सलमान की स्टाइल क्या है, उनकी बॉडी लैंग्वेज कैसी है। ऐसा ही उनके साथ हो रहा था। उन्हें भी मेरा स्टाइल नहीं पता था। हम दोनों का अभिनेता-निर्देशक का रिश्ता एक अरेंज मैरिज की तरह था ना कि लव मैरिज की तरह। हमें एक दूसरे के बारे में कुछ खास पता नहीं था। मैं अपनी तरह से काम किया करता था वह अपनी स्टाइल से काम किया करते थे। हम दोनों का एक दूसरे के साथ काम करने का नया अनुभव था।
देश में हर साल कई डांस रियलिटी शोज होते हैं लेकिन उनमें से निकले कम ही डांसर्स को हम जानते हैं। आखिर ऐसा क्यों?
यह बात काफी हद तक सही है लेकिन आज के समय में डांसर्स खाली नहीं हैं। डांसर्स की प्रोफेशनल लाइफ बहुत छोटी होती है, ठीक वैसे ही जैसे क्रिकेटर्स की। 35 साल की उम्र तक पहुंचते ही आपका शरीर आपका साथ छोड़ने लगता है। सिंगर्स की प्रोफेशनल लाइफ काफी बड़ी है। वह चाहें तो बचपन से लेकर 80 साल की उम्र तक गाना गा सकते हैं। इसके साथ ही आज भी हमारे समाज में डांसर्स को इज्जत नहीं मिलती है। समाज इस कला को तिरक्षी नजरों से देखता है। धीरे-धीरे वक्त बदल रहा है लेकिन अब भी ऐसे विचार समाज में व्याप्त हैं।
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