सेन्ट्रल डेस्क, अरफा जावेद- जहां एक ओर साधू-संतों के एक धड़े ने विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण की तारीख़ का ऐलान कर दिया है, वहीं अब विहिप का कहना है कि मंदिर हम बनाएंगे। कुंभनगरी प्रयागराज में द्वारका-शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की अगुवाई में चली 3 दिवसीय परम धर्म संसद बुधवार को ख़त्म हुई। इस संसद में स्वामी ने धर्मादेश जारी कर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की तारीख़ का ऐलान कर दिया है। यह धर्मादेश प्रयागराज में ही विहिप की अगुवाई में होने वाली धर्म संसद से एक दिन पहले आया है। विहिप की धर्म संसद से पहले जारी इस धर्मादेश से साधु-संतों के बीच राम मंदिर निर्माण को लेकर धर्मायुद्ध छिड़ने की संभावना है।
NEWS 10 INDIA की लेटेस्ट खबरें और अपडेट्स जानने के लिए आप हमारे FACEBOOK पेज को लाइक करना ना भूलें। नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें ।
इस दिन होगा शिलान्यास
प्रयागराज में चली 3 दिवसीय धर्म संसद के आख़िरी दिन यह धर्मादेश जारी किया गया। शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की ओकर से जारी किए गए धर्मादेश में कहा गया कि बसंत पंचमी के स्नान के बाद संत समाज अयोध्या के लिए कूच करेगा। उन्होंने आगे कहा कि 21 फरवरी को राम मंदिर की आधारशिला रखी जाएगी। स्वामी ने आगे कहा कि राम मंदिर के लिए बलिदान देने का वक़्त आ गया है। उनका मानना है कि कोर्ट का फैसला आने में वक़्त लगेगा और ऐसे में संत समाज के लोग शांतिप्रिय तरीके से ‘रामाभिमानी सविनय अवज्ञा आंदोलन’ के तहत अयोध्या के लिए कूच करेंगे। स्वामी का कहना है कि अगर उन्हें ऐसा करने से रोका गया तो वहां मौजूद सभी लोग गोली खाने से पीछे नहीं हटेंगे।
NEWS 10 INDIA की खबरों को और अधिक विस्तार से जानने के लिए अब आप हमें Twitter पर भी फॉलो कर सकते है । क्लिक करें नीचे दिए लिंक पर ।
स्वामी के धर्मादेश पर विहिप का पलटवार
स्वामी की अगुवाई में आए धर्मादेश पर विहिप के अंतरराष्ट्रीय महासचिव सुरेन्द्र जैन का कहना है कि हमने राम मंदिर मामले को इस मुकाम तक पहुंचाया है। उन्होंने आगे पूछा कि स्वामी जी राम मंदिर का निर्माण कहां परे करेंगे? सुरेन्द्र जैन का कहना है कि सन् 1984 से रामजन्मभूमी पर उनका ही दावा रहा है और आगे भी रहेगा। बता दें कि 31 जनवरी को विहिप की अगुवाई में धर्म संसद बैठक की जाएगी। सुरेन्द्र जैन ने स्वामी द्वारा जारी किए गए धर्मादेश में साजिश की आशंका भी जताई है।
सुरेन्द्र जैन का कहना है कि विश्व हिन्दू परिषद और राम जन्मभूमि न्यास दोनों ही विवादित स्थल से अपना दावा नहींं छोड़ सकती है। उनके अनुसार राम का जन्म अयोध्या में हुआ था और इस वजह से आस-पास की भूमि भी राम जन्मभूमि है। उनका कहना है कि विवादित स्थल पर भव्य राम मंदिर ही बनेगा।