पाकिस्तान के सूचना एवं प्रसारण मंत्री फवाद चौधरी ने शुक्रवार को घोषणा करते हुए कहा कि सरकार ने विदेशी नागरिकों के लिए स्थायी निवास योजना की अनुमति देने का फैसला किया है। इसे रियल एस्टेट क्षेत्र में उनके निवेश से जोड़ा गया है। पाकिस्तान की पहली राष्ट्रीय सुरक्षा नीति के मुताबिक फवाद ने कहा कि पाकिस्तान ने भू-अर्थशास्त्र को अपने राष्ट्रीय सुरक्षा सिद्धांत के मूल के रूप में घोषित किया है। यही कारण है कि नई नीति ने विदेशियों को निवेश के बदले स्थायी निवासी का दर्जा प्राप्त करने की अनुमति दी है।
खबरों के मुताबिक तुर्की के नक्शेकदम पर चलते हुए पाकिस्तान की तहरीक-ए-इंसाफ के नेतृत्व वाली सरकार ने विदेशी नागरिकों के लिए स्थायी निवास योजना सुविधा शुरू करने का फैसला लिया है। इसके लिए आवेदकों को उन्हें करीब 74 लाख रुपए से लेकर 300,000 डॉलर का निवेश रियल एस्टेट में करना होगा। एक प्रमुख संघीय मंत्री ने इसके पीछे पाकिस्तानी सरकार का उद्देश्य स्पष्ट किया
रिपोर्ट के मुताबिक मंत्री ने कहा विदेशियों के लिए पीआर योजना शुरू करने का एक उद्देश्य अमीर अफगानों को आकर्षित करना है। उन्होंने कहा पिछले साल अगस्त में अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होने के बाद से अफगान तुर्की, मलेशिया और अन्य देशों में शरण लेने के लिए मजबूर हो रहे हैं। पाकिस्तान सरकार ने ऐसे लोगों को आकर्षित करने के लिए ही यह स्कीम लॉन्च की है। आगे मंत्री ने कहा कि इस योजना का मकसद कनाडा और अमेरिका में रहने वाले सिखों को टारगेट करना है, जो धार्मिक स्थलों में निवेश करने के इच्छुक हैं, खासकर करतारपुर कॉरिडोर।
मंत्री के मुताबिक इस योजना का तीसरा उद्देश्य ऐसे चीनी नागरिकों को आकर्षित करना है जो पाकिस्तान में उद्योग स्थापित करना चाहते हैं । उन्होंने कहा कि यह एक ऐतिहासिक कदम है। पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार विदेशी नागरिकों को रियल स्टेट में निवेश करने की अनुमति दी गई है। और विदेशी नागरिकों को संपत्ति खरीदने में सुविधा के लिए कैबिनेट ने मंत्रालयों और अधिकारियों को बैठक कर योजना बनाने के लिए कहा है।
हाल ही में तुर्की ने विदेशी नागरिकों को अपने यहां संपत्ति खरीदने की अनुमति दी है। चौधरी ने कहा कि यह परियोजना एक ‘गेम चेंजर’ साबित होगी। उन्होंने कहा कि विदेशी अब पाकिस्तान में घर, होटल खरीदने के साथ रियल स्टेट में निवेश कर पाएंगे। पाकिस्तान ने शुक्रवार को जारी अपनी पहली राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में भारत के साथ संबंधों में सुधार की इच्छा जताई और हिन्दुत्व आधारित नीतियों, हथियार जमा करने की होड़ और लंबित विवादों के एकतरफा हल थोपने की