लाइव सिटीज, सेंट्रल डेस्कः बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले से जुड़े एक केस में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट की अवमानना करने के मामले में CBI के अंतरिम निदेशक रहे एम। नागेश्वर राव को फटकार लगाते हुए कोर्ट की कार्रवाई खत्म होने तक कोर्ट में हीे रहने और सबसे पीछ बैठने की सजा सुनाई है। सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ हीं नरगेश्वर पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
दरअसल मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले पर सप्रीम कोर्ट बहुत हीं सख्त है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट लगातार अपडेट भी ले रहा है। वहीं कोर्ट ने बिहार सरकार को भी पिछले दिनों इसी मामले को लेकर फटकार भी लगाई थी और ट्रायल को पटना से साकेत दिल्ली में ट्रांसफर कर दिया था। वहीं सात फरवरी को जारी अवमानना के नोटिस के जवाब में नागेश्वर राव ने कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया।
क्या है पूरा मामला
मुजफ्फरपुर मामले में जांच में लगे सीबीआई के अंतरिम डायरेक्टर एम नागेश्वर राव ने जॉइंट डायरेक्टर ए के शर्मा का सीआरपीएफ में तबादला कर दिया था। जिसके बाद कोर्ट ने अवमानना के लिए राव को समन भेजा था। इस मामले में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सुप्रीम कोर्ट के दो आदेशों का उल्लंघन किए जाने को गंभीरता से लेते हुए ए के शर्मा का कोर्ट की पूर्व अनुमति के बगैर 17 जनवरी को सीआरपीएफ में तबादला किए जाने पर नागेश्वर राव के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी किया था।
CBI's former interim Director, Nageswara Rao appears before the Supreme Court bench, headed by Chief Justice of India (CJI) Ranjan Gogoi complying with SC's earlier order with respect to Muzaffarpur shelter home case pic.twitter.com/UB3mUoA04N
— ANI (@ANI) February 12, 2019
राव ने बिना किसी शर्त के मांगी माफ़ी
सीबीआई के अंतरिम डायरेक्टर एम। नागेश्वर राव ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी लिए माफी मांगते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करने की उनकी कोई मंशा नहीं थी। उन्होंने अपने माफ़ीनामे में कहा कि मैं गंभीरता से अपनी गलती महसूस करता हूं और बिना शर्त माफी मांगने के दौरान मैं विशेष रूप से कहता हूं कि मैंने जानबूझकर इस अदालत के आदेश का उल्लंघन नहीं किया क्योंकि मैं सपने में भी इस अदालत के आदेश का उल्लंघन करने की सोच नहीं सकता।