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क्या उत्तर प्रदेश चुनाव में कूदेंगे टिकैत: पुलिस सुरक्षा देने वाली योगी सरकार के प्रति नरम हैं किसान नेता

राजस्थान से जुड़े किसान नेता का कहना है, देर-सवेर टिकैत को योगी के साथ ही खड़े होना है। योगी सरकार द्वारा मुहैया कराई गई पुलिस सुरक्षा के पहरे में चलने वाले टिकैत ने अब ये कहा है कि वे आचार संहिता लगने के बाद आगे की रणनीति बताएंगे तो मतलब साफ है कि वे कमल या लाल टोपी में से किसी एक का साथ देंगे…

क्या उत्तर प्रदेश चुनाव में कूदेंगे टिकैत: पुलिस सुरक्षा देने वाली योगी सरकार के प्रति नरम हैं किसान नेता

उत्तर प्रदेश चुनाव 2022: योगी आदित्यनाथ और राकेश टिकैत


किसान आंदोलन में शामिल रहे विभिन्न संगठनों ने जिस तरह से पंजाब में चुनाव लड़ने का एलान किया है, कुछ वैसी ही बेचैनी उत्तर प्रदेश के किसान नेताओं में भी दिखने लगी है। उन्हें राजनीतिक दलों से ऑफर मिल रहे हैं, लेकिन अभी तक किसी पार्टी को हां या ना नहीं बोल रहे हैं।

किसान नेता फिलहाल सही वक्त का इंतजार कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश चुनावों में टिकैत की भूमिका के सवाल पर सबकी नजर लगी हैं। टिकैत ने कहा है, वे आचार संहिता लागू होने के बाद ही आगे की रणनीति का खुलासा करेंगे। उनके सामने ‘कमल और लाल टोपी’ का विकल्प है।

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किसान आंदोलन में कुछ समय तक टिकैत के सहयोगी रहे एक किसान नेता कहते हैं, उन्हें पुलिस सुरक्षा तो योगी ने दी है। कुछ दिन से किसान नेता, मुख्यमंत्री योगी के प्रति थोड़ा नरम दिख रहे हैं। सितंबर 2021 में टिकैत, भाजपा को यह सलाह दे चुके हैं कि अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का प्रमोशन कर उन्हें प्रधानमंत्री बना दिया जाए।


टिकैत को मिल रहे हैं राजनीतिक दलों से ऑफर


उत्तर प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र में किसान आंदोलन का बड़ा असर रहा है। यहां पर राकेश टिकैत और उनके भाई नरेश टिकैत, लगातार सक्रिय रहे हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने तो पिछले दिनों टिकैत को सियासत का ऑफर दे दिया था। कांग्रेस पार्टी की तरफ से भी अंदरखाते ऐसे प्रयास हुए हैं कि यूपी चुनाव में टिकैत परिवार साथ आ जाए। दूसरे किसान नेताओं से भी संपर्क किया गया है।

सीएम योगी को लेकर राकेश टिकैत, अब बहुत सोच समझकर बयानबाजी कर रहे हैं। दो दिन पहले चुनावी रणनीति को लेकर टिकैत ने कहा था, वे न तो कोई चुनाव लड़ेंगे और न ही पार्टी बनाएंगे। उनके परिवार का कोई सदस्य चुनाव नहीं लड़ेगा। जब उनसे पूछा गया कि यूपी चुनाव में भारतीय किसान यूनियन का रुख क्या रहेगा, इस पर उन्होंने कहा कि आचार संहिता लागू होने के बाद ही आगे की रणनीति का खुलासा करेंगे।

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पिछले दिनों जब अखिलेश यादव के राजनीतिक प्रस्ताव पर टिकैत से आगे की रणनीति के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था, वे कहीं नहीं जा रहे हैं। हमें तो बस किसानों के लिए आंदोलन करना है।


नेता बोले- योगी के साथ खड़े होंगे टिकैत


किसान आंदोलन में राकेश टिकैत के साथ रहे एक किसान नेता, जो बाद में अलग हो गए थे, उनका कहना है कि टिकैत परिवार इस चुनाव से खुद को अलग नहीं रख सकता। मुख्यमंत्री योगी को लेकर दोनों टिकैत बंधुओं की बयानबाजी पर गौर करें तो इतना समझ आ रहा है कि चुनाव में भले ही राकेश टिकैत जिस भी पार्टी के साथ हों, मगर वे खुलेआम योगी की आलोचना नहीं करेंगे।

राजस्थान से जुड़े किसान नेता का कहना है, देर-सवेर टिकैत को योगी के साथ ही खड़े होना है। योगी सरकार द्वारा मुहैया कराई गई पुलिस सुरक्षा के पहरे में चलने वाले टिकैत ने अब ये कहा है कि वे आचार संहिता लगने के बाद आगे की रणनीति बताएंगे तो मतलब साफ है कि वे कमल या लाल टोपी में से किसी एक का साथ देंगे।

मंगलवार को टिकैत ने मुजफ्फरनगर में कहा, लोग सांप्रदायिक शक्तियों के बहकावे में न आएं। मथुरा को मुजफ्फरनगर न बनने दें। यहां पर भी उन्होंने योगी आदित्यनाथ को केंद्र में रख कर कोई खास बात नहीं कही।


जस की तस हैं किसानों की दिक्कतें

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सितंबर 2021 में मंथन कार्यक्रम के दौरान राकेश टिकैत ने कहा था, अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पदोन्नति देकर उन्हें प्रधानमंत्री बना देना चाहिए। तब राकेश टिकैत ने यह भी दावा किया था कि यूपी में भाजपा को 140 से ज्यादा सीटें नहीं मिलेंगी। किसान नेता ने कहा था, प्रधानमंत्री मोदी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकेंगे।

वे बीच में ही अपने पद से हट जाएंगे। मोदी देश के राष्ट्रपति बनेंगे। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा की स्थिति ठीक नहीं है। किसान नेता चौधरी हरपाल सिंह बिलारी कहते हैं, अगर यह इलाका चुनाव में एक तरफ झुक गया तो उत्तर प्रदेश में बड़ा उलटफेर संभव है। गन्ना किसानों की सारी दिक्कतें खत्म नहीं हुई हैं।

हालांकि वे खुद चुनाव लड़ने के पक्ष में नहीं हैं। बिलारी ने कहा, ऐसे प्रस्ताव आते रहते हैं, लेकिन सियासत में आने से आंदोलनकारी की आत्मा घायल हो जाती है। अभी किसानों के मुद्दे खत्म नहीं हुए हैं। लंबा संघर्ष करना है। टि

कैत अगर राजनीति में आते हैं तो ये उनका अपना फैसला है। जिस तरह से पंजाब में सभी किसान संगठन तो राजनीति में शामिल नहीं हुए हैं, वैसे ही यूपी चुनाव में भी कई संगठन ऐसे हैं जो किसानों के लिए संघर्ष के रास्ते पर आगे बढ़ते रहेंगे।

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