एक कथा के अनुसार जब घटोत्कच पहली बार अपने पिता भीम के राज्य में आया तो अपनी मां (हिडिम्बा) की आज्ञा के अनुसार उसने द्रौपदी को कोई सम्मान नहीं दिया।
द्रौपदी को अपमान महसूस हुआ और उसे बहुत गुस्सा आया। वह उस पर चिल्लाई कि वह एक विशिष्ट स्त्री है, वह युधिष्ठिर की रानी है, वह ब्राह्मण राजा की पुत्री है तथा उसकी प्रतिष्ठा पांडवों से कहीं अधिक है। और उसने अपनी दुष्ट राक्षसी मां के कहने पर बड़ों, ऋषियों और राजाओं से भरी सभा में उसका अपमान किया है। जा दुष्ट तेरा जीवन बहुत छोटा होगा तथा तू बिना किसी लड़ाई के मारा जाएगा।
जानिए घटोत्कच क्यों गया लंका?
महाभारत के दिग्विजय पर्व के अनुसार, जब राजा युधिष्ठिर ने राजसूय यज्ञ का आयोजन किया तो भीम, अर्जुन, नकुल व सहदेव को अलग-अलग दिशाओं में निवास कर रहे राजाओं से कर (टैक्स) लेने के लिए भेजा। कुछ राजाओं ने आसानी से कर दे दिया तो कुछ युद्ध के बाद कर देने के लिए राजी हुए। इसी क्रम में सहदेव ने घटोत्कच को लंका जाकर राजा विभीषण से कर लेकर आने को कहा। घटोत्कच अपनी मायावी शक्ति से तुरंत लंका पहुंच गया। वहां जाकर उसने राजा विभीषण को अपना परिचय दिया और आने का कारण बताया। घटोत्कच की बात सुनकर विभीषण प्रसन्न हुए और उन्होंने कर के रूप में बहुत धन देकर उसे लंका से विदा किया।