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ठंडे पड़ते किसान आंदोलन में जान फूंकने के लिए नई रणनीति

दिल्ली की सीमाओं पर करीब चार महीने पहले नए कृषि कानूनों के खिलाफ धरना प्रदर्शन की शुरुआत हुई थी। लंबे वक्त से चल रहे इस आंदोलन में कई मोड़ आए, सरकार के साथ करीब एक दर्जनभर वार्ता के बावजूद इसका कोई हल नहीं निकल सका है। अब आंदोलन ठंडा पड़ता दिख रहा है तो किसान नेताओं ने आंदोलन में नई ऊर्जा फूंकने के लिए रणनीति में बदलाव की तैयारी कर ली है। संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से रणनीति का ऐलान किया गया है।

बीते कई महीनों से किसान नए कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसान, अपने विरोध को आगे बढ़ाने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने घोषणा की है कि किसान 10 अप्रैल को कुंडली-मानेसर-पलवल यानि केएमपी एक्सप्रेसवे को 24 घंटे के लिए बंद करेंगे। इसके अलावा संगठन की तरफ से ऐलान किया गया है कि मई के महीने में संसद तक मार्च की तैयारी भी की जा रही है।

आने वाले दो महीनों के लिए अपनी योजना के बारे में बात करते हुए, 32 किसान समूहों की इकाई एसकेएम ने कहा कि 5 अप्रैल को फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया बचाओ दिवस का ऐलान आयोजन करने जा रहा है। इस कार्यक्रम में देश में FCI कार्यालयों का घेराव किया जाएगा।

एसकेएम ने कहा कि पैदल मार्च में न केवल किसान, बल्कि महिलाएं, बेरोजगार व्यक्ति और मजदूर भी शामिल होंगे।  इसने आगे कहा कि किसान 13 अप्रैल को दिल्ली की सीमाओं पर बैसाखी का त्यौहार मनाएंगे और अगले दिन, जो भीम राव अम्बेडकर की जयंती है, उसे समाज बचाओ दिवस के रूप मनाया जाएगा। दरअसल पिछले साल नवंबर से हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर कृषि कानूनों के विरोध में डेरा डाले हुए हैं।

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