Breaking News
Home / ताजा खबर / भारत-पाकिस्तान की सरहद पर बसे किसान करते हैं शिप्टों में काम

भारत-पाकिस्तान की सरहद पर बसे किसान करते हैं शिप्टों में काम

भारत-पाकिस्तान की सहरद पर बसे किसानों को इन्हीं बंदिशों के बीच खेती के लिए मजबूर होना पड़ता है. उनके खेत तो हिंदुस्तान की सीमा में हैं लेकिन सुरक्षाबलों की ओर से तैयार की गई बाड़ के उस पार हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर किसानों को निर्देश होते हैं कि वे 3 फुट से अधिक ऊंची फसल अपने खेत में नहीं उगा सकते. जब भी वे अपने खेतों में जाते हैं तो उन्हें सुरक्षाबलों की ओर से दिया गया आई कार्ड पहनना होता है.

पंजाब में भारत और पाकिस्तान की सरहद पर जंग का खतरा है. जिसके चलते कभी भी गोली चल जाती है.वही इन चुनौतियों का सामना करने के लिए सेना बॉर्डर पर हर वक्त तैनात रहते है. लेकिन इंडिया पाक बॉर्डर पर रहने वाले लोग रोज़ एक अलग ही जंग लड़ रहे हैं. बता दे की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बसे इन गावों में रहने वाले हजारों किसान ऐसे हैं, जिनके खेत बॉर्डर के पार पड़ते हैं.

इन किसानो को अपने ही खेतों में जाने के लिए रोज सबूत देकर ही एंट्री मिलती है.जानकारी के मुताबिक ये ऐसे खेत हैं जिनमें कौन सी फसल उगेगी, ये भी नियम कानून ही तय करते हैं. जिसके चलते इन गांवों के निवासियों की मुश्किलें देश के हर इंसान, हर किसान से अलग हैं. इन किसानों की समस्याओं के लिए कोई किसान आंदोलन नहीं होता.

इसके अलावा यहाँ कभी ड्रोन की घुसपैठ, कभी नशे की तो कभी आतंकी की घुसपैठ को रोकने के लिए सरहद पर कंटीली तारें लगी हुई हैं. जो बॉर्डर की सुरक्षा के लिए लगी तो हैं लेकिन भारत पाकिस्तान सीमा पर बसे अटारी के निवासी इन तारों की चुभन हर वक्त महसूस करते हैं. वही गांवों में रहने वाले सिख बताते हैं कि हालात खराब हो जाएं तो घर छोड़कर पीछे जाना पड़ता है.और यदि ड्रग्स केस में नाम आ जाए तो कार्ड नहीं बनते. बॉर्डर पार गांव में कोई नहीं आता.

पंजाब में 553 किलोमीटर का बॉर्डर है, जो पाकिस्तान से सटा है. पंजाब के 6 जिलों फिरोजपुर, तरनतारन, अमृतसर, गुरदासपुर, पठानकोट और फाजिल्का के कई गांव ऐसे हैं, जहां कई किसानों के खेत बॉर्डर पर यानी अंतराष्ट्रीय सीमा की जद में हैं. पाकिस्तान से एकदम सटे हुए इन खेतों में काम करने की रूल बुक काफी लंबी है.

सरहद के खेतों की रूल बुक के अनुसार खेत में जाने के लिए किसानों को BSF से आईडी कार्ड मिलता है.इतना ही नहीं हर तीन साल में इस कार्ड को रिन्यू करना होता है. प्रॉपर्टी के कागज़ होने पर ये कार्ड बनाया जाता है. किसान का कोई आपराधिक रिकॉर्ड ना हो तो ही यह कार्ड बनाया जाता है.

खेत में काम करने का समय सुबह 9 से शाम 5 बजे तक तय है हफ्ते में तीन दिन ही खेतों में जाने दिया जाता है. इसके अलावा यदि कोहरा हो तो खेत में नहीं जा सकते. 3 फुट से ऊपर हाइट की फसल सीमा के खेत में नहीं उगा सकते ताकि दुश्मन को छिपने का मौका ना मिले. बता दे की खेती के हर सामान और कार्ड धारी किसान और मजदूरों की रोजाना चेकिंग होती है. कोई गड़बड़ी हुई तो जिम्मा किसान का होता है.

बता दे की किसान केवल पाकिस्तान के बमों और ग्रेनेड से ही खौफ में नहीं हैं. पंजाब से लगते 553 किमी. लंबे इंटरनेशनल बॉर्डर पर तस्करों की गतिविधियां बढ़ गई हैं. दो साल में 50 से अधिक बार पाकिस्तानी ड्रोन इस ओर आते है. जिनके जरिए पंजाब में नशे की सप्लाई हो रही है. बॉर्डर पर खेत होने का जो नुकसान होता है, उसकी भरपाई के लिए सरकार से 10 हजार प्रति acre प्रतिवर्ष का मुआवजा दिया जाता है. हालांकि पिछले तीन साल से किसानों को मुआवजे का इंतजार है.

रेल संपर्क टूटने के बाद दोनों देशों में अटारी का रेलवे स्टेशन इन दिनों बियाबान पड़ा है. कभी ये कारोबार और दोनों देशों के बीच रिश्तों का जरिया था लेकिन अब हालात बदल चुके हैं. स्टेशन पर बनी पीर बाबा की मजार है.बता दे की यहां हर धर्म की पूजा होती है लेकिन यहां के बाबा का मानना है कि जवान सरहद तो बचा रहे हैं लेकिन बेरोजगारी और नशे से पंजाब की सरहद पर बने इन गावों को ना कोई सरकार बचा पाई है और ना ही ऊपरवाला.

About Swati Dutta

Check Also

बिहार में मुसलमानों की बदहाली पर PK का RJD पर बड़ा हमला

मुसलमान 32 साल से राजद को वोट दे रहा है, कोई राजद या तेजस्वी से …

Leave a Reply

Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com