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देश के पानी का भीषण संकट सूखता भविष्य।

जलपुरुष के नाम से मशहूर और मैग्सेसे अवार्ड विजेता राजेंद्र सिंह ने भास्कर ने पानी की समस्या को लेकर गहरी चिंता जताते हुए बताया की देशभर में 10 साल पहले कुल 15 हजार पहले नदिया थी। इस दौरान करीब 30 फीसदी नदिया यानी साढ़े चार हज़ार करीब  नदिया सुख गई है, ये केवल बारिश के दिनों में बहती है ,उन्होंने बताया कुछ वर्ष पहले उनकी टीम ने सर्वे किया था,जिसमे इस बात को साबित करते हुए कहा इन 50 सालो में लगभग दो तिहाई तालाब कुए पोखर झरने पूरी तरह ख़त्म हो चुके है ,यानी पूरी तरह सूख चुके है ग्राउंड वाटर भूजल की स्थति भी बेहद खराब है।

A dry bed of a river, water in the background and trees coming out of the river

 


देश के कुछ राज्य में 40 मीटर तक ग्राउंड वाटर लेबल नीचे जा चुका है।राज्यों में पानी की बढ़ती किल्लतों कोअहम् समस्या मानते हुए। हाल ही में नीति आयोग की रिपोर्ट में भी कहा गया की वर्ष 2030 तक लगभग 40% के लोगो की पहुंच पीने  के पानी तक ख़त्म हो जाएगी। अब देश भर में भू-जल प्रतिवर्ष 3 मीटर नीचे जा रहा है।

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मौसम विभाग के वैज्ञानिक वेद प्रकाश की 81 फीसदी से काम बारिश होने सुखी सिथति हो सकती है लेकिन वर्ष 2000 ऐसा कभी नहीं हुआ है, लेकिन का पानी का दुरपयोग होने से हमने ऐसी स्थति बना दी नदिया सूखने का एक बड़ा कारण मानवीय गलतिया भी है।अगर पानी की समस्या को लेकर हम समय पर जागरूक नहीं हुए तो हम जीवन केअस्तिस्त्व को खो देंगे। बारिश के पानी को संरक्षित करके पानी को बचाने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते है। पानी सरक्षण के लिए सरकार को भी ठोस कदम उठाने होंगे क्युकी पानी ही जीवन है।

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