
कृषि कानूनों को लेकर चल रहा गतिरोध लगातार सियासी उठापटक की वजह बन रहा है। पहले अकाली दल और अब राजस्थान के कद्दावर नेताओं में शुमार हनुमान बेनीवाल की पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने एनडीए से नाता तोड़ लिया है। कृषि कानूनों के विरोध में गठबंधन तोड़ने का ऐलान खुद हनुमान बेनीवाल ने किया है। हनुमान बेनीवाल लगातार नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। इतना ही नहीं हनुमान बेनीवाल किसानों को समर्थन देने की खातिर जयपुर से दिल्ली कूच भी कर चुके हैं।
एनडीए गठबंधन से अलग होने का फैसला करते हुए नागौर से सांसद बेनीवाल ने कहा कि हम किसी भी ऐसे दल या व्यक्ति के साथ नहीं हैं जो किसानों के खिलाफ हो। अलवर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए हनुमान बेनीवाल ने सरकार पर भी जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कृषि कानून किसानों का हक छीनने की ही एक कोशिश है। हम ऐसी कोशिश का साथ नहीं दे सकते।
हालांकि पहली बार नहीं है कि हनुमान बेनीवाल इन कानूनों का विरोध कर रहे हों। इससे पहले उन्होंने कहा था कि देश का अन्नदाता कड़ाके की ठंड में सड़कों पर बैठा है। ऐसे में केंद्र सरकार को किसानों का मन रखते हुए तीनों कृषि बिलों को वापस ले लेने चाहिए। दिल्ली कूच से पहले बेनीवाल जयपुर में दर्जनों कस्बों में दौरे पर रहे। इस दौरान उन्होंने जन सम्पर्क करके किसान आंदोलन के लिए समर्थन जुटाने की कोशिश की।
इसके अलावा सांसद बेनीवाल ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर भी निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि राजस्थान में अपराध चरम पर है। किसानों के कर्ज माफी के वादे से सरकार मुकर चुकी है। ऐसे में जनता का भरोसा राजस्थान की सरकार पर नहीं रहा। इसके अलावा सांसद ने कहा कि कृषि बिलों को वापस लेने से सरकार किसानों को सकारात्मक संदेश दे सकती है।