सेन्ट्रल डेस्क, साहुल पाण्डेय/वरुण : पूर्व बीजेपी नेता और बिहार के दरभंगा से सांसद कीर्ति आजाद अब कांग्रेस के साथ आ गए है। 18 तारीख को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने उन्हें कांग्रेस की सदस्यता दिलाई। ऐसे में अब कांग्रेस में आने के बाद कीर्ति आजाद ने कहा है कि उनकी घर वापसी हो गई है। वहीं वे अपने सेकुलर होने की बात कह रहे है। ऐसे में एक खुला पत्र दरभंगा के ही रहनेवाले एक युवक ने उनके नाम लिखा है और नए—नए सेकुलर बने कीर्ति से कड़े सवाल किए हैं। आप भी पढ़िए —
सेवा में,
कीर्ति झा आज़ाद साहब।
आप बीजेपी से निलंबित सांसद हैं, आपने नए घर में गृहपरवेश किया, और इसी के साथ आपका कांग्रेस में घरवापसी हो गया। आपके पिताजी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री भागवत झा आज़ाद खांटी कांग्रेसी थे और आप उनके सुपुत्र थोड़ा पथ से विचलित हो कर अपने पिताजी के विरोधी पार्टी से मिल कर अपनी शानदार राजनीति पारी खेली,जिसकी बहुत बहुत शुभकामनाएं आपको।
अभी आप ताज़ा ताज़ा सेक्युलर हुए हैं और आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, एक दरभंगिया होने के नाते मेरी बातों का ज़्यादा लोड मत लीजिएगा।
पहली बात, आज से कुछ साल पहले बेनीपुर के इज़रहता गाँव मे सरस्वती पूजा को लेकर कुछ धार्मिक उन्माद फैला था और आप पे आरोप था कि आप स्कार्पियो पे बैठ कर भीड़ को उन्मादी बना रहे थे, जिसकी वीडियो भी वायरल हुई थी। तो उस वीडियो को सोशल मीडिया या और किसी प्लेटफार्म से हटा दिया जाए। अगर वीडियो मार्किट में आ भी जाये तो उसपे स्टैंड लेने के लिए अभी से ही रणनीति तैयार रखी जाए, क्योंकि अल्पसंख्यक बहुत मासूम होते हैं, वीडियो के मार्किट में आते ही आपसे अल्पसंख्यक समुदाय सवालों का रॉकेट दागना शुरू कर देंगे।
दूसरी बात, 2014 लोकसभा चुनाव के वक़्त फातमी साहब ने एक चुनावी जनसभा में कहा था कि आप अपने सांसद प्रकोष्ट की पूरी राशि भी अपने क्षेत्र में खर्च नही पाए, किसी सांसद के लिए इससे ज़्यादा शर्म की बात और क्या होगी कि वो अपने प्रकोष्ठ की राशि भी विकास के लिए खर्च न पाए। रही बात आप सेक्युलर हो और महागठबंधन के सहयोगी होने के नाते फातमी साहब भी आपसे सवाल नही पूछेंगे की आपने राशि क्यूँ नही खर्च की और विकास के नाम पे कौन सा झुनझुना जनता को थमाइयेगा।
चलिये, अल्पसंख्यक के विकास की बात छोड़ के बहुसंख्यक के लिए आपने क्या विकास किया? हराही पोखर में आप टाइटैनिक जहाज़ कब उतरवा रहे हैं? हराही में क्रिस्टल स्विमिंग पूल बनवाने का वादा कब पूरा कीजियेगा? युवा रोज़गार के लिए दरभंगा में क्या किया? एक बेंग के मूतने से डीएमसीएच में बाढ़ आ जाता है, बच्चा वार्ड से एक नवजात शिशु को कुत्ता अपने मुंह में लेकर भाग जाता है, तीन स्कूल की एक साथ छुट्टी होने पे जनता जाम से फंस जाती है, सडकचौड़ीकरण के नाम पे भी लॉलीपॉप चूसा दिया आपने।
अगर काम हुआ है तो दिखना चाहिए, सिर्फ कागज़ों तक सीमित रखना ई अच्छा बात नही है। हाँ विकास हुआ है तो आपके साथ रहने वाले 20-30 ठेकेदार का जो आज वो भी सेक्युलर हो गए,क्यूँकि भईया ठेकेदारी तो चलते रहना चाहिए।
ज़्यादा मुद्दे पे न जाते हुए चलिये इतना ही बता दीजिए कि सांसद प्रकोष्ठ की बची हुई राशि का वितरण अल्पसंख्यक में कीजियेगा क्या?
तीसरी बात, क्योंकि मुसलमानों की भूमिका चुनाव में तेजपत्ते जैसी होती है, बिरयानी बनने के बाद तेजपत्ते को निकाल के बाहर फेंक दिया जाता है।
तो साहब आपसे यही कहेंगे कि एक जोरदार अल्पसंख्यक कार्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन हमीदिया मदरसे में करवा लीजिये, रामपुरी टोपी और जालीदार गमछे में फ़ोटो फ्लैक्स बोर्ड पे अच्छा दिखता है और आपका ऐसा फ्लैक्स बोर्ड मार्किट में है भी नही, फ्लैक्स आ जाने के बाद पूरे अल्पसंख्यक बिरादरी में आपके सेक्युलर होने का सबूत भी हो जाएगा और आप हमारे नए क़ायद-ए-दरभंगा भी हो जाइयेगा।
तीसरी बात आपने पार्टी बदली है,झंडा बदला है तो आपको थोड़ा विचारधारा में भी बदलाव लाना होगा।
अल्पसंख्यकों से मिलने जुलने के लिए आपको दो शब्द बड़ी कसरत से याद करनी होगी पहला “चच्चा सलालेकुम” और दूसरा “वालेकुमस्लाम भैया”।
थोड़ी बहुत पर्सनालिटी बैलेंस्ड करने के लिए किसी भी सभा के बाद “अच्छा चलता हूं, दुआओं में याद रखना” या “चलिये ठीक है फिर अल्लाह हाफ़िज़” भी बोलना सीखना होगा। हमारी मासूम क़ौम का इन सब मुद्दों पे जल्द ही झुकाव हो जाता है और मुस्लिम पोलराइज़ेशन इन सब सॉफ्ट वर्ड पे जल्द ही होता है।
उम्मीद करता हूँ आप मेरी बातों का लोड न लेते हुए, पढ़ कर मंद मंद मुस्कुराइयेगा और बॉलियेगा धत तेरी की, लगता है पागल है छौड़ा।
जनता से अपील है कि इस ख़त को आग की तरह न फैलाते हुए, पानी मार के अपने ही तक रहिएगा।
काहे की भैया हम गरीब आदमी हैं, साग रोटी खाते हैं, ब्रश की जगह दतमन करते हैं।
एक अल्पसंख्यक तेजपत्ता
अहमर ज़ेया
दरभंगा लोकसभा