पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की अगले सप्ताह होने जा रही चीन यात्रा को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है। बता दें कि इमरान खान शीतकालीन ओलंपिक के बहाने अब चीन के सामने एक बार फिर से झोली फैलाने जा रहे हैं। इमरान खान चाहते हैं कि चीन उन्हें 3 अरब डॉलर की मदद दे ताकि कंगाली की हालत से गुजर रहे पाकिस्तान के कम होते विदेशी मुद्रा भंडार को स्थिर किया जा सके। इतना ही नहीं इमरान खान चीन को सीपीईसी पर मनाने का प्रयास करेंगे जिसमें हो रही देरी पर ड्रैगन भड़का हुआ है।
बता दे की सत्ता में आने पहले इमरान खान ने पाकिस्तानी आवाम से वादा किया था कि वह विदेशों से कर्ज नहीं लेंगे लेकिन अब तक के कार्यकाल में इमरान खान ने कर्ज लेने के सभी रेकॉर्ड तोड़ दिए हैं। इमरान खान चाहते हैं कि चीन वित्त, व्यापार और निवेश के क्षेत्र में मदद करे। खबरों के मुताबिक देश के वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकार चीन से 3 अरब डॉलर का एक और कर्ज देने के लिए गुहार लगाने पर विचार कर रही है।
जानकारी के मुताबिक चीन ने अब तक पाकिस्तान को विभिन्न माध्यमों से करीब 11 अरब डॉलर का कर्ज दिया हुआ है। पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में चीन का $16.1 अरब डॉलर है। पाकिस्तान ने इस कर्ज के बदले में चीन को 26 अरब रुपये ब्याज के रूप में चुकाया है। इसके अलावा पिछले महीने ही पाकिस्तान ने सऊदी अरब से 3 अरब डॉलर का कर्ज लिया था। इतने कर्ज के बाद भी पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार कम होता नजर आ रहा है।
वही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने कार्यकाल के दौरान देश को कर्ज में डुबा दिया है। जिसके चलते हालात इतने खराब हो चुके हैं कि पाकिस्तान के पास चीन के कर्ज को चुकाने के लिए भी पैसे नहीं हैं। पाकिस्तान ने चीन के अलावा, संयुक्त अरब अमीरात , सऊदी अरब, विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से भी भारी मात्रा में कर्ज लिया हुआ है। पाकिस्तान पर घरेलू और विदेशी कर्ज 50 हजार अरब रुपये से भी अधिक हो चुका है। एक साल पहले हर एक पाकिस्तानी के ऊपर लगभग 75 हजार रुपये का कर्ज था।
खबरों के मुताबिक इसी साल अप्रैल में ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने चेतावनी दी थी कि नीतिगत विफलता और बढ़ते आकस्मिक कर्ज के कारण पाकिस्तान की सार्वजनिक ऋण स्थिरता लगातार कमजोर हो रही है। मई में अंतरराष्ट्रीय रेटिंज एजेंसी फिंच ने पाकिस्तान को बी रेटिंग दी थी। फिंच ने कहा था कि यह रेटिंग पाकिस्तान के कमजोर सार्वजनिक वित्त, बाहरी वित्त की कमजोरियों और सरकार की विफलता को देखकर दिया गया है।