पुलवामा हमले के बाद सरकार ने राज्य शासन की सुरक्षा वापस लेने का फैसला लिया है। इस फैसले ने अलगाववादियों को भीतर से हिला दिया है। इन अलगाववादी नेताओं में हुर्रियत में कॉन्फ्रेंस के नेता मीरवाइज उमर, अब्दुल गनी भट्ट, बिलाल लोन, हाशिम कुरैशी, शब्बीर शाह शामिल है।
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सरकार की तरफ से जारी आदेश के मुताबिक इन अलागाववादियों को मुहैया कराई गई सुरक्षा और दूसरे वाहन वापस ले लिए जाएंगे। किसी भी अलगाववादी को सुरक्षाबल किसी भी हालत में सुरक्षा मुहैया नहीं कराएंगे।
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आपको बता दें कि बीते एक दशक के दौरान सरकारी खजाने से राज्य में सक्रिय अलगाववादियों की सुरक्षा पर करीब 15 करोड़ खर्च हुए हैं। यह राशि अलगाववादियों को प्रदान करले वाले सुरक्षाकर्मीयों, एस्कार्ट, वाहन व 3 अन्य सुविधाओं पर खर्च हुई है। मीरवाईज मौलवी उमर फारुक की सुरक्षा पर ही छह करोड़ की राशि खर्च हुई है।
इसमें से 1.27 करोड़ उनके साथ अटैच पुलिस एस्कार्ट पर हुए हैं, जबकि उनके घर पर तैनात सुरक्षा गार्ड पर 5.06 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। प्रो अब्दुल गनी बट की सुरक्षा पर बीते एक दशक में 2.34 करोड़ की राशि खर्च हुई है, जबकि बिलाल गनी लोन की सुरक्षा पर इस दौरान 1.65 करोड़ और हाशिम कुरेशी की सुरक्षा पर भी करीब डेढ़ करोड़ खर्च किए गए हैं।
हमले के बाद केंद्र सरकार की कई उच्च स्तरीय बैठकें हुई हैं और बदले के एक्शन पर रणनीति बनाए जाने की खबरें भी सामने आ रही हैं। पाकिस्तान के खिलाफ कदम उठाते हुए भारत ने पाक का मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा वापस ले लिया है। इसके अलावा पाकिस्तान से आने वाली चीजों पर आयात शुल्क 200 फीसदी बढ़ा दिया है। पाकिस्तान पर कार्रवाई और आतंकवादी घटनाओं पर नकेल कसने के लिए सरकार सभी विकल्पों पर विचार कर रही है।
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