Priyanka promises on death of Arun in police custody: आगरा में बीते दिनों अरुण बाल्मीकि नामक युवक की मौत हो गयी थीं।
उनके परिवारजनों का कहना है कि उनकी मौत पुलिस कस्टडी में हुई है।
अब मौत पर अक्सर सियासी रोटियाँ सेंकने वाले दलों ने अरुण वाल्मीकि के घर पर अड्डा जमा लिया है।
सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता आये और अरुण के परिवारिजनो को सहायता राशि व अन्य सुविधाएं देने की कई तरह की बातें कही और सुनी गयीं।
लेकिन यह सब बातें मृतक अरुण के घर से वापसी के समय हाई जैसे हवा हवाई हो चुकी हैं।
ऐसे में देखा जाए तो बस मौके का फायदा उठाने की कोशिश में लगे हुए हैं सारे नेता।
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वादे हैं वादों का क्या
इसी कड़ी में कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी भी अरुण के घर पहुंची थी, और उनके द्वारा अरुण के परिवारजनों को 30 लाख रुपए की सहायता राशि व AICC (All India Congress Comeetee) पैनल द्वारा मुकदमा लड़ने की बात कही गयी थी।
लेकिन एक महीने से भी अधिक समय बीतने के बाद भी अरुण के परिवारीजनों को प्रियंका गांधी की तरफ से कोई भी सहायता राशि प्रदान नही की गई।
प्रियंका गांधी का मृतक अरुण के घर जाना निश्चित ही एक अच्छा काम है। लेकिन अब जब उनके वादे खोखले साबित हो रहे हैं। ऐसे में प्रियंका के उनके घर जाना मृतक के परिवार के जख्मो को कुरेदने के बराबर ही होगा।
ऐसे में प्रियंका गांधी के क़द की नेत्री को चाहिए कि किए गए वादों को अमली जामा पहनाएँ।
किसी ने इंसाफ नही दिलाया
परिवारीजनों का साफ कहना है कि हमे इंसाफ नही मिला है।
अरुण की माँ ने बताया कि पुलिस कस्टडी में अरुण की मौत होने के बाद कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी द्वारा 30 लाख रुपये की सहायता राशि व मुकदमा लड़ने की बात कही थी।
उसके साथ साथ जिला प्रशासन द्वारा सरकारी नॉकरी देने की भी बात कही थी, लेकिन कोई मुआवजा नही दिया गया।
अरुण के तीन बच्चे है, तीनों बच्चे छोटे है। इन बच्चों का पालन पोषण कैसे होगा इसका जवाब किसी के पास नही है?
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अरुण की पत्नी सोनम ने बताया कि बहुत सारे नेता आये और इंसाफ दिलाने की बड़ी बड़ी बातें बोल कर गए, लेकिन किसी ने इंसाफ नही दिलाया सिर्फ झूठा दिलासा ही सबसे मिला।
अरुण को जिसने भी मारा है उसको फांसी होनी चाहिए जल्द से जल्द तब जाकर उनको व उनके परिवारजनों को इन्साफ मिलेगा।