कर्मचारियों के तबादले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने लिया एक फैसला अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि कोई कर्मचारी किस स्थान पर जाने के लिए जोर नहीं दे सकता है नियोक्ता को अपनी जरूरतों के हिसाब से कर्मचारियों का तबादला करने का पूरा अधिकार है।
जानकारी के मुताबिक अदालत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट अक्टूबर 2017 के एक आदेश को चुनौती देने वाले एक लेक्चरर की याचिका को खारिज करते हुए यह फैसला लिया। बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने अमरोहा से गौतम बुध नगर ट्रांसफर किए जाने के लिए संबंधित प्राधिकार द्वारा उनके अनुरोध को खारिज कर दिया।
इस मामले में जस्टिस एमआर शाह और अनिरुद्ध बोस का कहना था कि कर्मचारी किसी स्थान पर तबादला करने या नहीं करने के लिए जोर नहीं दे सकता। यह नियोक्ता पर है कि वह अपनी जरूरत के हिसाब से किसी कर्मचारी का स्थानांतरण करे।
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अमरोहा की एक महिला अध्यापिका ने हाई कोर्ट में दी गई याचिका में कहा था कि उन्होंने गौतमबुद्ध नगर के एक कालेज में तबादला करने का अनुरोध किया, जिसे प्राधिकार ने सितंबर 2017 में खारिज कर दिया था। उस महिला के वकील ने 2017 में हाई कोर्ट में दलील दी थी कि वह पिछले चार साल से अमरोहा में काम कर रही हैं और सरकार की नीति के अनुसार उन्हें ट्रांसफर का अधिकार है।
इस पर हाई कोर्ट का कहना था कि इससे जुड़े प्राधिकार द्वारा पारित आदेश से पता चलता है कि अध्यापिका गौतमबुद्ध नगर के एक कालेज में दिसंबर 2000 में अपनी शुरुआती नियुक्ति से लेकर अगस्त 2013 तक 13 वर्ष सेवा में रहीं। कोर्ट का कहना था कि ऐसे में फिर से उसी स्थान पर भेजना उचित नहीं है।
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