कृषि कानूनों को रद्द कराने के लिए, किसान लगातार बॉर्डर पर डटे हुए हैं। डेढ़ महीने से ज्यादा का वक्त किसानों को बॉर्डर पर डटे हुए हो गया है। सर्दियों में कड़कड़ाती ठंड के बीच भी किसान जमकर डटे हुए हैं। इस बीच आज सुप्रीम कोर्ट में कृषि कानूनों को लेकर सुनवाई हुई, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने इसे लेकर कई बात कही, साथ ही सरकार को फटकार भी लगाई।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि, जिस तरह से प्रक्रिया चल रही है उससे हम निराश हैं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, हम जानते नहीं कि क्या बातचीत चल रही है। क्या कुछ समय के लिए कृषि कानूनों पर रोक लगाई जा सकती है? सरकार को फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम एक समिति बनाने का प्रस्ताव रखते हैं। और अगर सरकार नहीं करती है तो हम कृषि कानूनों के कार्यान्वयन पर रोक लगा देंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कुछ लोगों ने आत्महत्या की है, बूढ़े और महिलाएं आंदोलन का हिस्सा है। क्या हो रहा है? CJI ने कहा कि दायर की गई एक भी याचिका में यह नहीं कहा गया है कि कृषि कानून अच्छे हैं। प्रदर्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, अब यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि, हम प्रदर्शन को स्थानांतरित नहीं कर रहे हैं। आप प्रदर्शन जारी रख सकते हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या प्रदर्शन उसी जगह पर होना चाहिए? कोर्ट ने कहा कि अगर कुछ गलत हुआ तो हम में से हर एक जिम्मेदार होगा। हम अपने हाथों पर किसी का खून नहीं चाहते अगर केंद्र कृषि कानूनों के कार्यान्वयन को रोकना नहीं चाहता है, तो हम इस पर रोक लगा देंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत सरकार को इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी। आप कानून बना रहे हैं, आप इसे ज्यादा बेहतर तरीके से कर सकते हैं। सुनवाई के दौरान एटर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पहले के ऐसे फैसले हैं, जो कहते हैं कि कोर्ट कानून पर रोक नहीं लगा सकते हैं। जनरल वेणुगोपाल ने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री के साथ जो हुआ वह नहीं होना चाहिए था। किसान संगठन 26 जनवरी को अपने ट्रैक्टर के साथ राष्ट्रीय महत्व के दिन को नष्ट करने के लिए राजपथ पर मार्च करने की योजना बना रहे हैं। किसान संगठन की तरफ से दलीलें दे रहे सीनियर वकील दुष्यंत दवे ने कहा हमें रामलीला मैदान जाने देना चाहिए ।हम किसी भी तरह के हिंसा के पक्ष में नहीं है।