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सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को भेजा नोटिस, गरीब सवर्ण आरक्षण पर तत्काल रोक लगाने से किया मना

सेंन्ट्रल डेस्क, साहुल पाण्डेय : गरीब सवर्णो को आरक्षण देने के लिए केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार संसद में बिल लाकर इसे दोनों सदनों से पास भी करा दिया है. लेकिन जैसा की पहले से ही माना जा रहा था कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप कर सकता है, ठीक वैसा ही हुआ है. देश की सबसे बड़ी अदालत ने मोदी सरकार के इस कानून को चुनौती देनेवाली याचिका को स्वीकार करते हुए केन्द्र सरकार को नोटिस जारी किया है.

जानकारी के अनुसार मोदी सरकार के 10 फीसदी आरक्षण के फैसले खिलाफ दर्ज जनहित याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूर कर लिया है. वहीं कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को नोटिस भेज कर चार हफ्ते में इस पूरे मामले पर जवाब देने की बात कही है. बता दें कि केन्द्र को यह बड़ा झटका ऐसे मसमय में लगा है जब लोकसभा चुनाव नजदीक है. केन्द्र सरकार इस आरक्षण को 1 फरवरी से लागू करने वाली है. आपको बता दें कि कई राज्यों ने अपने यहां केन्द्र सरकार के इस फैसले को लागू भी कर दिया है.

10% आरक्षण पर फिलहाल कोई रोक नहीं: सुप्रीम कोर्ट

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने इस फैसले में केन्द्र सरकार को बड़ी राहत भी दी है. कोर्ट ने फिलहाल 10% आरक्षण पर रोक लगाने को लेकर हामी नहीं भरी है. कोर्ट ने इस आरक्षण को फिलहाल लागू रखने की बता कही है. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई की बेंच ने इस मामले पर कहा कि हम इस मामले की जांच करेंगे.

बता दें कि गरीब सवर्णों को आरक्षण देने के कानून के खिलाफ दायर याचिका में कोर्ट से इस सरकार के इस फैसले पर तुरंत रोक लगाने की मांग की गई थी. लेकिन कोर्ट ने फिलहाल रोक लगाने से इनकार किया है और मामले की जांच करने की बात कही है.

क्या कहती है याचिका?

सुप्रीम कोर्ट में 124वें संविधान संशोधन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई हैं. दायर याचिका के मुताबिक आरक्षण का आधार आर्थिक नहीं हो सकता. याचिका में कहा गया है कि विधयेक संविधान के आरक्षण देने के मूल सिद्धांत के खिलाफ है, यह सामान्य वर्ग को 10% आरक्षण देने के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक 50% के सीमा का भी पालन नहीं करता है.

दरअसल, संसद के शीतकालीन सत्र में मोदी सरकार ने कैबिनेट मीटिंग में फैसला किया कि देश के गरीब सवर्णों को सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थानों में दस फीसदी आरक्षण दिया जाएगा. सरकार ने 8 जनवरी को लोकसभा में संविधान का 124वां संशोधन विधेयक 2019 पेश किया गया. लंबी बहस के बाद ये विधेयक लोकसभा में पास हुआ. अगले दिन राज्यसभा में भी इसे पास करा लिया गया. जिसके बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इसे अपनी मंजूरी भी दे दी. देश के कई राज्य जैसे गुजरात, तेलंगना और उत्तर प्रदेश में यह आरक्षण लागू भी हो गया है.

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