दो दर्जन से ज्यादा बैठकों के बाद भी कांग्रेस-एनसीपी के गठबंधन पर अब तक फैसला नहीं हो सका है. जानकारी के मुताबिक, इन दोनों दलों के गठबंधन में पेच वंचित बहुजन अघाड़ी के नेता प्रकाश अंबेडकर को लेकर फंसा है.
कांग्रेस के लिए मुश्किल इस बात को लेकर है कि वो एनसीपी को छोड़कर वंचित बहुजन अघाड़ी (VBA) के साथ जाने का जोखिम लेने को तैयार नहीं है. तो वहीं वंचित बहुजन अघाड़ी, कांग्रेस से हाथ मिलाना चाहती है लेकिन एनसीपी पर कोई समझौता करने को तैयार नहीं है.
चुनाव में वोटों के बंटवारे को रोकने के लिए समविचारी पार्टियां अगर साथ नहीं आईं तो बीजेपी- शिवसेना गठबंधन को रोक पाना मुश्किल होगा. इसलिए प्रकाश अंबेडकर को कैसे मनाया जाए, इस पर माथापच्ची का दौर चल रहा है.
पिछले कुछ समय में एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार कुछ बातों को लेकर कांग्रेस की आलोचना कर चुके हैं. इस आधार पर माना जा रहा है कि विधानसभा चुनावों को लेकर सीटों के बंटवारे के संदर्भ में वो कांग्रेस पर दबाव बनाना चाहते हैं.
पवार के करीबियों का कहना है कि लोकसभा चुनाव में एनसीपी 22 सीटों पर चुनाव लड़ी, जबकि कांग्रेस के 26 कम सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद एनसीपी ने 4 सीटें जीती. वहीं कांग्रेस सिर्फ 1 सीट पर ही जीत हासिल कर सकी.
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