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पराली प्रदूषण से 1 घंटा कम हुआ पंजाब में धूप का समय

Sunshine time in Punjab reduced by 1 hour due to stubble pollution

पंजाब -पराली के प्रदूषण से 48 साल में 1 घंटा 6 मिनट कम हुआ पंजाब में धूप का समय, पीएयू के अध्ययन पर बताया गया

पंजाब लुधियाना के पराली जलाने से होने वाला प्रदूषण सूरज की किरणों को धरती पर पहुंचने नहीं दे रहा। जिकी वजह से यह हुआ है कि धूप की अवधि कम होती जा रही है। पंजाब में पिछले 48 वर्ष मेंं धूप की अवधि 1 घंटा 6 मिनट कम हो चुकी है। धरती के ऊपर वायुमंडल में नमी व प्रदूषण बढ़ने के कारण जो परत जम रही है वह धरती को धूप से वंचित रख रही है।

बताया जा रहा है की पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के जलवायु परिवर्तन और कृषि मौसम विज्ञान विभाग की ओर किए गए अध्ययन का है। बता दे की पीएयू के अध्ययन में सामने आया है कि खरीफ सीजन में धान की पैदावार के दौरान वातावरण में नमी काफी अधिक रहती है। बाद में धान की पराली जलाने से प्रदूषण भी अधिक होता है। नमी व पराली के धुएं के मिश्रण से बनने वाला स्माग धरती पर सूर्य की रोशनी को ठीक से पहुंचने नहीं दे रहा। यही कारण है कि सूर्योदय व सूर्यास्त के समय में कोई अंतर न आने के बावजूद धरती को मिलने वाली धूप की अवधि में कमी आ गई है। खरीफ के सीजन में पहले औसतन साढ़े नौ घंटे धूप खिलती थी जो अब आठ घंटे चौबीस मिनट हो गई है।

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पीएयू के अनुसार जलवायु परिवर्तन और कृषि मौसम विज्ञान विभाग की अध्यक्ष डा. प्रभजोत कौर सिद्धू ने बताया कि यह अध्ययन वर्ष 1970 से लेकर वर्ष 2018 तक किया गया है। इसमें यह भी पाया गया है कि धूप की अवधि में कमी सितंबर से लेकर नवंबर तक और जनवरी के दौरान दर्ज की गई है। राज्य में मोनो क्राप पालिसी (एकल कृषि पद्धति) के तहत एक खेत में एक निश्चित समय पर एक ही प्रकार की फसल उगाई जाती है। एक ही प्रकार की फसल उगाने से वातावरण में नमी की मात्रा में काफी इजाफा हुआ है।

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पंजाब अध्ययन में यह भी सामने आया है कि पिछले करीब 5 दशक में पंजाब में रात्री के न्यूनतम तापमान में भी 1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है। राज्य में अब रात्रि के वक्त वार्षिक औसत तापमान 15 से 16 डिग्री रहत है। जैसा की सर्दी में यह 8 डिग्री सेल्सियस और गर्मी में 21 से 23 डिग्री सेल्सियस रहता है। वर्ष 1970 में रात का औसत तापमान एक डिग्री सेल्सियस कम था। कृषि एवं औद्योगिकीकरण के चलते न्यूनतम तापमान में इजाफा हो रही है।

पंजाब -पराली -न जलाने वाले पंजाब लुधियाना के गांव करोड़ के सरपंच जसवीर सिंह ग्रेवाल का कहना है कि पराली के धुएं से बनने वाले स्माग के कारण फसलों पर बुरा असर पड़ता है। बता दे की उनका विकास प्रभावित होता है। सही फसल के लिए लगातार धूप होना काफी जरूरी है। वहीं, गांव कूमकलां के जसप्रीत के अनुसार मालवा क्षेत्र की कपास बेल्ट में स्माग के कारण धूप कम लगने से इसके फूल में नमी देर तक रहती है, जो बीमारी की वजह है।

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